विश्व बांस दिवस (WBD) प्रतिवर्ष 18 सितंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है ताकि बांस के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके। बांस एक गैर-काष्ठीय वन उत्पाद है, जिसे हरा सोना माना जाता है।
इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर में नए उद्योगों के लिए बांस की नई खेती को बढ़ावा देना और बांस के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना है।
विश्व बांस संगठन (WBO) ने WBD 2021 को चिह्नित करने के लिए एक नया हैशटैग #PlantBamboo लॉन्च किया है।
- WBD 2021 का संदेश है “#PlantBamboo: इट इज टाइम टू प्लांट बंबू”।
पृष्ठभूमि:
i.विश्व बांस दिवस की शुरुआत विश्व बांस संगठन (WBO) के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल 2007 से 2009 के दौरान असम, भारत के कामेश सलाम ने की थी।
ii.2009 में, WBO ने थाईलैंड के रॉयल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के समर्थन से बैंकॉक में आठवीं वर्ल्ड बैंबू कांग्रेस का आयोजन किया।
iii.18 सितंबर 2009 को, आठवीं वर्ल्ड बैंबू कांग्रेस के अंतिम दिन, WBO ने इस सभा के प्रतिभागियों के साथ 2009 से शुरू होकर हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस के रूप में मनाने को घोषित किया।
iv.पहली बार विश्व बांस दिवस 18 सितंबर 2009 को मनाया गया था।
ध्यान दें:
18 सितंबर को रॉयल थाई फॉरेस्ट्री डे के रूप में भी मनाया जाता है।
बांस:
i.बांस अफ्रीका, एशिया, दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के मूल में पाया जाता है।
ii.बांस का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक चीन है, जो बांस और रतन (बेंत या पौधे की पतली व मजबूत बाहरी परत) उत्पादों के निर्यात का लगभग 65% हिस्सा रखता है, भारत इसके वैश्विक आपूर्ति का लगभग 2% योगदान देता है।
iii.दुनिया भर में 35 मिलियन हेक्टेयर से अधिक बांस हैं।
भारत में बांस:
i.भारतीय वन अधिनियम 1927 ने बांस को एक पेड़ के रूप में परिभाषित किया और बाहरी जंगलों से काटने और इसे परिवहन करने पर रोक लगा दी।
ii.भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 2(7) के संशोधन के बाद, बांस अब एक पेड़ नहीं है और सुखा हुआ बांस लकड़ी भी नहीं है।
विश्व बांस संगठन के बारे में:
संस्थापक और कार्यकारी निदेशक– सुज़ैन लुकास
मुख्यालय– एंटवर्प, बेल्जियम