हैदराबाद स्थित एक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने भारत के पहले निजी तौर पर विकसित पूरी रूप से क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन धवन-1 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
- यह इसके आगामी विक्रम-2 कक्षीय प्रक्षेपण यान के ऊपरी चरणों को शक्ति प्रदान करेगा।
- रॉकेट इंजन धवन-1 का नाम भारतीय रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन के नाम पर रखा गया है।
धवन-1 के बारे में:
i.धवन-1 पूरी तरह से ‘मेड-इन-इंडिया’ क्रायोजेनिक इंजन है, जिसे सुपरएलॉय के साथ 3D प्रिंटिंग का उपयोग करके विकसित किया गया है।
ii.3D प्रिंटिंग के उपयोग ने विनिर्माण समय का लगभग 95% कम कर दिया है।
iii.इंजन तरलीकृत प्राकृतिक गैस और तरल ऑक्सीजन द्वारा संचालित होता है- एक उच्च प्रदर्शन, कम लागत वाला और स्वच्छ रॉकेट ईंधन।
प्रमुख बिंदु:
i.स्काईरूट एयरोस्पेस ने तीनों प्रकार की प्रणोदन तकनीकों का प्रदर्शन किया है: तरल प्रणोदन, ठोस प्रणोदन और क्रायोजेनिक प्रणोदन।
ii.जुलाई 2020 में, स्काईरूट ने अपने तरल प्रणोदन इंजन ‘रमन‘ – विक्रम-1 लॉन्च वाहन के ऊपरी चरण के रॉकेट इंजन का परीक्षण किया। इंजन का नाम नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता सर CV रमन के नाम पर रखा गया था।
iii.दिसंबर 2020 में, कंपनी ने ‘कलाम-5′ सॉलिड प्रोपल्शन रॉकेट इंजन का परीक्षण किया, जिसका उपयोग उसके विक्रम रॉकेट के निचले चरणों को शक्ति देने के लिए किया जाएगा। इंजन का नाम भारत के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति APJ अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।
अतिरिक्त जानकारी:
i.स्काईरूट को अक्षय ऊर्जा फर्म ग्रीनको ग्रुप के प्रमोटर, विस्फोटक निर्माता और ISRO आपूर्तिकर्ता सोलर इंडस्ट्रीज और क्योरफिट के संस्थापक मुकेश बंसल का समर्थन प्राप्त है।
ii.स्काईरूट ऐसे रॉकेटों के विकास और निर्माण पर काम कर रहा है जो कम लागत और कम आवागमन समय पर छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाएंगे।
iii.रॉकेट केस को विकसित करने के लिए कंपनी कार्बन कंपोजिट का उपयोग करने की भी योजना बना रही है, जो स्टील से हल्का और मजबूत है।
स्काईरूट एयरोस्पेस के बारे में:
सह-संस्थापक, CEO और CTO– पवन कुमार चंदन
सह-संस्थापक, COO– नागा भरत डाक
मुख्यालय– हैदराबाद, तेलंगाना