16 अगस्त 2024 को, इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश (AP) में सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC) से स्माल सैटेलाइट लांच व्हीकल (SSLV-D 3) की अपनी तीसरी और अंतिम विकास उड़ान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
- इसने U R राव सैटेलाइट सेंटर (URSC), बेंगलुरु (कर्नाटक) द्वारा विकसित अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट (EOS-08) और पैसेंजर सैटेलाइट, SR-0 DEMOSAT, चेन्नई (तमिलनाडु (TN)) स्थित स्टार्टअप, स्पेस रिक्शा का पहला सैटेलाइट और सफलतापूर्वक उन्हें पृथ्वी के चारों ओर 450 किलोमीटर (km) गोलाकार कक्षा में रखा।
- SSLV-D3-EOS-08 मिशन से ISRO की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के वाणिज्यिक सैटेलाइट प्रक्षेपण कार्यों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
नोट: फरवरी 2023 में, ISRO ने श्रीहरिकोटा, AP में SDSC से SSLV-D2 का दूसरा संस्करण लॉन्च किया। इसने 3 सैटेलाइट्स- EOS-07 और दो पैसेंजर सैटेलाइट: जानूस-1 और आज़ादीसैट 2 को ले गया।
मुख्य उद्देश्य:
मिशन का उद्देश्य एक माइक्रोसैटेलाइट को डिजाइन और विकसित करना, माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ संगत पेलोड उपकरण बनाना और भविष्य के परिचालन सैटेलाइट्स के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना है।
EOS-08 सैटेलाइट के बारे में:
i.इसे माइक्रोसैट/ इंडियन मिनी सैटेलाइट (IMS-1) बस पर बनाया गया है, और इसका द्रव्यमान लगभग 175.5 किलोग्राम (kg) है और इसमें 1 वर्ष के मिशन जीवन के साथ लगभग 420 वाट (W) की बिजली पैदा करने की क्षमता है।
ii.इसने3 पेलोड, अर्थात् इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड(EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R), और सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) अल्ट्रावॉयलेट (UV) डोसिमीटर ले गए।
iii.EOIR पेलोड को विशेष रूप से दिन और रात दोनों समय मीडियम-वेव इन्फ्रारेड (MWIR) और लॉन्ग-वेव इन्फ्रारेड (LWIR) बैंड में छवियों को कैप्चर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इन छवियों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों: सैटेलाइट-आधारित निगरानी, आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी, आग का पता लगाना, आदि के लिए किया जाएगा।
iv.GNSS-R पेलोड का उपयोग रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों जैसे: महासागर सतह वायु विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, हिमालयी क्षेत्र में क्रायोस्फीयर अध्ययन, बाढ़ का पता लगाना आदि के लिए किया जा सकता है।
v.SiC UV डोसिमीटर अल्ट्रा वायलेट (UV) विकिरण की निगरानी करने में मदद करेगा, जो भारत के गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण है और गामा विकिरण के लिए उच्च खुराक अलार्म सेंसर का उपयोग करने में मदद करेगा।
vi.यह सैटेलाइट सैटेलाइट मेनफ्रेम सिस्टम में कई नई प्रौद्योगिकी विकासों जैसे कि इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स सिस्टम (IAS) – कम्युनिकेशन, बेसबैंड, स्टोरेज एंड पोजिशनिंग (CBSP) पैकेज, PCB के साथ एम्बेडेड स्ट्रक्चरल पैनल, एम्बेडेड बैटरी, माइक्रो-DGA (डुअल जिम्बल एंटीना), M-PPA(फेज्ड ऐरे एंटीना) और ऑनबोर्ड प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए लचीला सौर पैनल और नैनो स्टार सेंसर आदि को अपने साथ लेकर चलता है।
SSLV के बारे में:
i.SSLV को 10 से 500 kg वजन वाले मिनी, माइक्रो या नैनो सैटेलाइट्स को 500 km लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ii.यह 34 मीटर (m) लंबा, 2 मीटर व्यास वाला है जिसका लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान लगभग 120 टन है।
iii.यह एक 3-चरणीय लॉन्च वाहन है जिसमें सभी ठोस प्रणोदन चरण और तरल प्रणोदन आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) टर्मिनल चरण के रूप में है।
iv.यह अंतरिक्ष तक कम लागत वाली पहुँच प्रदान करता है, विभिन्न सैटेलाइट्स को समायोजित करने में कम समय और लचीलापन प्रदान करता है, और इसके लिए न्यूनतम लॉन्च बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है।
इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) के बारे में:
अध्यक्ष– श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ
मुख्यालय– बेंगलुरु, कर्नाटक
स्थापना– 1969