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DRDO ने राजस्थान के जैसलमेर में स्वदेशी MP-ATGM का सफल टेस्ट किया

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DRDO Successfully Test-Fires Indigenous Man-Portable Anti Tank Guided Missile In Rajasthan's Jaisalmer

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), रक्षा मंत्रालय (MoD) की अनुसंधान और विकास (R&D) शाखा, और भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MP-ATGM) का सफल टेस्ट किया।

  • यह टेस्ट राजस्थान के जैसलमेर में पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज (PFFR) में किया गया।

टेस्ट प्रक्षेपण:

i.मिसाइल को इजेक्शन मोटर का उपयोग करके एक कनस्तर से सॉफ्ट-लॉन्च किया जाता है और 2.5 किलोमीटर (km) की अधिकतम सीमा के साथ एक तिपाई से तैनात किया जाता है।

ii.कुल सिस्टम का वजन 15 किलोग्राम (kg) से कम रखा गया था।

MP-ATGM के बारे में:

i.MP-ATGM एक कंधे से लॉन्च की जाने वाली मिसाइल सिस्टम है जिसे दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को बेअसर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

ii.मिसाइल एक हल्का, बेलनाकार हथियार है जिसमें 4 रेडियल पंखों के 2 सेट और एक हाई-एक्सप्लोसिव एंटी-टैंक (HEAT) आकार का चार्ज वारहेड है।

iii.मिसाइल की लंबाई लगभग 130 सेंटीमीटर (cm) और व्यास 12 cm है।

iv.पूरी सिस्टम का वजन लगभग 14.5 kg है, जिसमें कमांड लॉन्च यूनिट (CLU) के लिए अतिरिक्त 14.25 kg है।

v.रेंज: इसकी परिचालन सीमा न्यूनतम 200 से 300 मीटर और अधिकतम 4 km तक है।

vi.ATGM सिस्टम दिन/रात और शीर्ष हमले की परिचालन क्षमता के साथ-साथ दोहरे मोड सीकर से सुसज्जित है।

vii.मिसाइल में लघु इमेजिंग इंफ्रा-रेड (IIR) सीकर और ऑनबोर्ड नियंत्रण और मार्गदर्शन के लिए उन्नत एवियोनिक्स है।

DRDO ने ओडिशा तट से दूर सुखोई-30 MK-I प्लेटफॉर्म से ‘GAURAV’ का सफल पहला फ्लाइट टेस्ट किया

DRDO ने ओडिशा तट से दूर भारतीय वायु सेना (IAF) प्लेटफॉर्म Su-30 MK-I से ‘GAURAV’ नामक लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम (LRGB) का पहला फ्लाइट टेस्ट सफलतापूर्वक किया है।

  • GAURAV को हैदराबाद, तेलंगाना में अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।

GAURAV की मुख्य विशेषताएं:

i.GAURAV एक हवा से प्रक्षेपित 1,000 kg वर्ग का ग्लाइड बम है जो लंबी दूरी पर लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।

ii.यह सटीक लक्ष्य प्राप्ति के लिए इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) डेटा को मिलाकर एक हाइब्रिड नेविगेशन सिस्टम का उपयोग करता है।

iii.बम ने सटीक सटीकता हासिल की, जिसमें समुद्र तट के साथ इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) द्वारा तैनात टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (EOTS) द्वारा फ्लाइट डेटा कैप्चर किया गया।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के बारे में:

DRDO का गठन 1958 में भारतीय सेना के तत्कालीन पहले से कार्यरत तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDE) और तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (DTDP) को रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के साथ मिलाकर किया गया था।
अध्यक्ष– डॉ. समीर V. कामत
मुख्यालय– नई दिल्ली, दिल्ली