स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री, ‘भारत रत्न‘ मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के अवसर पर हर साल 11 नवंबर को पूरे भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
- भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान को पूरे भारत में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाकर मान्यता दी जाती है।
यह दिन शिक्षा के मौलिक अधिकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके सर्वोच्च महत्व को रेखांकित करने का कार्य करता है।
- 11 नवंबर 2023 को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 135वीं जयंती है, जिनका जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था।
पृष्ठभूमि:
i.2008 में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय (MoE)) ने 11 नवंबर, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में घोषित किया।
ii.पहला राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 11 नवंबर 2008 को मनाया गया था।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में:
i.मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 1888 में मक्का में अबुल कलाम गुलाम मुहिउद्दीन के नाम से हुआ था और 1890 में कलकत्ता (अब कोलकाता, पश्चिम बंगाल) में बस गए।
ii.उन्होंने 1912 में उरुडु में “अल-हिलाल” नामक एक साप्ताहिक पत्रिका प्रकाशित करना शुरू किया, जिसे बाद में ब्रिटिश अधिकारियों ने प्रतिबंधित कर दिया था।
iii.वह 1923 और 1940 में दो अवसरों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
iv.वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख नेता थे और उन्होंने खिलाफत आंदोलन (1920-24) में एक सक्रिय भूमिका निभाई और अखिल भारतीय खिलाफत समिति के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
v.अक्टूबर 1920 में, उन्हें अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना के लिए फाउंडेशन समिति के सदस्य के रूप में चुना गया था।
- 1934 में, उन्होंने विश्वविद्यालय के कंपाउंड को अलीगढ़ से नई दिल्ली, दिल्ली में स्थानांतरित करने में सहायता की। उन्होंने भारत में उच्च शिक्षा की नींव रखी।
vi.खिलाफत आंदोलन के बाद, वह महात्मा गांधी से प्रेरित हुए और उनकी सविनय अवज्ञा पहल अर्थात् दांडी मार्च (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय रूप से भाग लिया।
vii.उन्होंने 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र भारत में पहले शिक्षा मंत्री) के रूप में कार्य किया।
viii.उनकी मृत्यु 22 फरवरी, 1958 को हो गई। एक स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, विद्वान और कवि के रूप में उनके प्रयासों के लिए उन्हें 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
उनका योगदान:
i.उन्होंने कई प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:
- 1951 में पहली बार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT);
- 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC);
- केंद्रीय शिक्षा संस्थान, दिल्ली (अब, दिल्ली विश्वविद्यालय का शिक्षा विभाग)।
ii.उन्होंने आज मौजूद अधिकांश महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थानों की स्थापना की, जिनमें ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और योजना और वास्तुकला स्कूल आदि शामिल हैं।
iii.भारत और पूर्वी देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुरक्षित करने के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।