मिनिस्ट्री ऑफ़ ट्राइबल अफेयर्स(MoTA) और मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवीरोंमेंट, फारेस्ट & क्लाइमेट चेंज(MoEFCC) ने वन संसाधनों के प्रबंधन में आदिवासी समुदायों को अधिक अधिकार देने के लिए नई दिल्ली में एक ‘संयुक्त संचार‘ पर हस्ताक्षर किए।
- संयुक्त संचार अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (आमतौर पर वन अधिकार अधिनियम के रूप में जाना जाता है) के प्रभावी कार्यान्वयन से संबंधित है।
- हस्ताक्षर समारोह हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया था। इसमें वन सचिव, रामेश्वर प्रसाद गुप्ता; आदिवासी सचिव अनिल कुमार झा और सभी राज्यों के राजस्व सचिव।
फारेस्ट राइट्स एक्ट, 2006
i.फारेस्ट राइट्स एक्ट(FRA), 2006 वन में रहने वाले आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के वन संसाधनों के अधिकारों को मान्यता देता है, जिन पर ये समुदाय आजीविका, आवास और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक जरूरतों सहित विभिन्न जरूरतों के लिए निर्भर थे।
ii.यह वनवासियों को वनों की रक्षा, संरक्षण और प्रबंधन, वनवासियों को गैरकानूनी बेदखली से बचाने के लिए पारंपरिक रूप से आदी तरीके से वन संसाधनों तक पहुंचने और उपयोग करने का अधिकार देता है। यह वनवासियों के समुदाय के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, बुनियादी ढांचे आदि की सुविधाओं तक पहुंचने के लिए बुनियादी विकास सुविधाएं भी प्रदान करता है।
iii.यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) के अनुसार, भारत के लगभग 23% परिदृश्य में वन क्षेत्र शामिल है, और 200 मिलियन नागरिक अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं।
हाल के संबंधित समाचार:
2 फरवरी 2021, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के तहत 14 अतिरिक्त लघु वन उपज (MFP) वस्तुओं को शामिल किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आदिवासी गेथेरेर्स को उनके वन उपज के लिए उचित मूल्य मिले।
मिनिस्ट्री ऑफ़ ट्राइबल अफेयर्स (MoTA) के बारे में
केंद्रीय मंत्री – अर्जुन मुंडा (लोकसभा – खूंटी, झारखंड)
राज्य मंत्री – रेणुका सिंह सरुता (लोकसभा – सरगुजा, छत्तीसगढ़)