केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव द्वारा जारी रिपोर्ट “स्टेटस ऑफ लेपर्ड्स इन इंडिया“ के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने अनुमान लगाया है कि भारत में लेपर्ड्स की आबादी 2018 में 12,852 से 8% बढ़कर 2022 में 13,874 हो गई है।
- 2018 से 2022 तक लेपर्ड्स की आबादी 1.08% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी।
रिपोर्ट के बारे में:
i.पांचवें चक्र लेपर्ड्स की आबादी का अनुमान (2022) राज्य वन विभागों के सहयोग से नेशनल टाइगर कन्सेर्वटिव अथॉरिटी (NTCA) और वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (WII) द्वारा किया गया था।
ii.यह रिपोर्ट टाइगर रेंज स्टेट्स में चतुर्वर्षीय (चार-वर्षीय) “मॉनिटरिंग ऑफ टाइगर, को-प्रिडेटर्स, प्रेय एंड डेयर हैबिटैट” अभ्यास का हिस्सा थी।
iii.रिपोर्ट में 18 टाइगर स्टेट्स के भीतर वनों के आवासों को शामिल किया गया है, जिन्हें चार प्रमुख टाइगर कन्सेर्वटिव लैंडस्केप्स में बांटा गया है।
iv.चार क्षेत्र शिवालिक पहाड़ियाँ & गंगा के मैदान, मध्य भारत & पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट और उत्तर पूर्वी पहाड़ियाँ, और ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदान हैं।
v.रिपोर्ट हिमालय, अर्ध-शुष्क क्षेत्रों और गैर-जंगली आवासों को छोड़कर देश के 70 प्रतिशत लेपर्ड्स के आवास का प्रतिनिधित्व करती है, जिनका नमूना नहीं लिया गया था।
मुख्य निष्कर्ष:
राज्यवार तुलना:
i.मध्य प्रदेश में 3907 लेपर्ड्स हैं, जो भारत में सबसे अधिक लेपर्ड्स की संख्या है, इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र (1985) और कर्नाटक (1,879) दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
ii.मध्य प्रदेश में लेपर्ड्स की संख्या में सबसे अधिक सुधार 486 (2018 में 3,421 से 2022 में 3,907) दर्ज किया गया, जबकि ओडिशा में 192 की गिरावट (2018 में 760 से 2022 में 568) दर्ज की गई।
iii.प्रतिशत के संदर्भ में, अरुणाचल प्रदेश में लेपर्ड्स की आबादी में 282% की वृद्धि (2018 में 11 से 2022 में 42) दर्ज की गई, जबकि उत्तराखंड में लेपर्ड्स की आबादी में 22% की गिरावट (2018 में 839 से 2022 में 652) दर्ज की गई, जो कथित तौर पर अवैध शिकार और मानव-पशु संघर्ष के कारण है।
iv.टाइगर रिजर्व या सबसे अधिक लेपर्ड्स की आबादी वाले स्थल नागार्जुनसागर श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश) हैं, इसके बाद पन्ना (मध्य प्रदेश) और सतपुड़ा (मध्य प्रदेश) हैं।
क्षेत्रवार तुलना:
i.पश्चिमी घाट में, लेपर्ड्स की आबादी 2018 में 3,387 से बढ़कर 2020 में 3,596 हो गई।
ii.उत्तरपूर्वी पहाड़ियों और ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदानों में, यह 141 से बढ़कर 349 हो गया है।
iii.शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों में, यह 1,253 से घटकर 1,109 हो गया।
18 राज्यों में लेपर्ड्स की संख्या:
राज्य | 2018 में जनसंख्या | 2022 में जनसंख्या |
बिहार | 98 | 86 |
उत्तराखंड | 839 | 652 |
उत्तर प्रदेश | 316 | 371 |
शिवालिक पहाड़ियाँ & गंगा का मैदान | 1,253 | 1,109 |
आंध्र प्रदेश | 492 | 569 |
तेलंगाना | 334 | 297 |
छत्तीसगढ | 852 | 722 |
झारखंड | 46 | 51 |
मध्य प्रदेश | 3,421 | 3,907 |
महाराष्ट्र | 1,690 | 1,985 |
ओडिशा | 760 | 568 |
राजस्थान | 476 | 721 |
मध्य भारत & पूर्वी घाट | 8071 | 8,820 |
गोवा | 86 | 77 |
कर्नाटक | 1,783 | 1,879 |
केरल | 650 | 570 |
तमिलनाडु | 868 | 1,070 |
पश्चिमी घाट | 3387 | 3,596 |
अरुणाचल प्रदेश | 11 | 42 |
असम | 47 | 74 |
उत्तरी बंगाल | 83 | 233 |
उत्तर पूर्वी पहाड़ियाँ और ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदान | 141 | 349 |
कुल | 12,852 | 13,874 |
लेपर्ड्स की संरक्षण स्थिति:
भारतीय लेपर्ड्स (पेंथेरा पार्डस फ्यूस्का) को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है, और इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची द्वारा “कमजोर” के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
हाल के संबंधित समाचार:
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री (MoEFCC), श्री भूपेन्द्र यादव ने नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक के दौरान स्टेटस ऑफ स्नो लेपर्ड्स इन इंडिया पर रिपोर्ट जारी की। 2019 से 2023 तक आयोजित अभ्यास में भारत में 718 स्नो लेपर्ड्स की सूचना दी गई। स्नो लेपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट इन इंडिया (SPAI) कार्यक्रम पहला वैज्ञानिक अभ्यास है जो भारत में 718 व्यक्तियों की हिम तेंदुए की आबादी की रिपोर्ट करता है।
वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के बारे में:
WII MoEFCC का एक स्वायत्त संस्थान है।
अध्यक्ष – सुश्री लीना नंदन (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव)
जगह – देहरादून, उत्तराखंड
स्थापना – 1982