अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 18 दिसंबर को पूरे भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के संवैधानिक रूप से सुनिश्चित अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है और इसका उद्देश्य भारत में जातीय अल्पसंख्यकों के लिए स्वतंत्रता और समान अवसरों के अधिकार को बनाए रखना है।
- यह दिन अल्पसंख्यकों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है।
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) द्वारा प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाता है
पृष्ठभूमि:
भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पहली बार 18 दिसंबर 2013 को मनाया गया था।
18 दिसंबर क्यों?
18 दिसंबर को उस दिन को चिह्नित करने के लिए चुना गया था, जिस दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा 18 दिसंबर 1992 को संकल्प 47/135 द्वारा राष्ट्रीय या जातीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों की घोषणा को अपनाया गया था।
भारत में अल्पसंख्यक समुदाय:
i.राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (C) के तहत, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
ii.2011 की जनगणना के अनुसार, अल्पसंख्यक भारत की कुल आबादी का लगभग 19.3% हैं।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) के बारे में:
i.अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की परिकल्पना गृह मंत्रालय के संकल्प दिनांक 12 जनवरी 1978 में की गई है।
ii.NCM की स्थापना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत की गई थी।
NCM के कार्य:
NCM अधिनियम 1992 की धारा 9(1) के अनुसार, NCM के कार्यों में शामिल हैं,
- संघ और राज्यों के अधीन अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन।
- संविधान और कानूनों में प्रदान किए गए अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा उपायों के कामकाज की निगरानी करना
- अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करना
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों को देखना और ऐसे मामलों को उपयुक्त प्राधिकारियों के साथ उठाना।
वर्तमान आयोग:
अध्यक्ष– इकबाल सिंह लालपुरा (2021 से 2024)
उपाध्यक्ष– आतिफ रशीद (2020 से 2022)
सदस्य– केरसी कैखुशरू देबू (2021 से 2024)