राष्ट्रीय योजनाओं और रणनीतियों में संसदों के महत्व को पहचानने के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) का अंतर्राष्ट्रीय संसदीय दिवस प्रतिवर्ष 30 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में संसदों के महत्व पर भी प्रकाश डालता है।
- अंतर-संसदीय संघ (IPU) और इसके सदस्य संसद युवा सशक्तिकरण पर केंद्रित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके अंतर्राष्ट्रीय संसदीय दिवस 2021 को चिह्नित करते हैं। यह IPU अभियान “आई से यस टू यूथ इन पार्लियामेंट!” के शुभारंभ का अमुपालन करता है।
पृष्ठभूमि:
i.संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 22 मई 2018 को संकल्प A/RES/72/278 को अपनाया और हर साल 30 जून को अंतर्राष्ट्रीय संसदीय दिवस के रूप में मनाने को घोषित किया।
ii.संसदीयवाद का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 30 जून 2018 को मनाया गया था।
30 जून क्यों?
30 जून, 30 जून 1889 को अंतर-संसदीय संघ (IPU) की स्थापना का प्रतीक है।
संसदों का महत्व:
i.संसद लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है, कानून पारित करता है, और कानूनों और नीतियों के कार्यान्वयन के लिए धन आवंटित करता है।
ii.संसद अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय एजेंडा को जोड़ती है और उनकी अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है।
iii.संसदीय प्रणाली दो श्रेणियों में आती है:
- द्विसदनीय (संसद के दो कक्षों के साथ)
- एक सदनीय (एक कक्ष के साथ)।
iv.193 देशों में से 79 द्विसदनीय हैं और 114 एक सदनीय हैं। भारत एक द्विसदनीय देश है।
IPU के प्रयास:
i.IPU, संसदों का विश्व संगठन, वैश्विक स्तर पर अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और भागीदारी को बढ़ावा देता है।
ii.IPU शांति और सुरक्षा, मानवाधिकार और सतत विकास सहित विभिन्न मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करता है।
सतत विकास लक्ष्य (SDG):
सतत विकास लक्ष्य (SDG) 16 (न्यायसंगत, शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देना), सतत विकास, सभी के लिए न्याय तक पहुंच और सभी स्तरों पर प्रभावी, जवाबदेह संस्थानों के निर्माण के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।