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NCPCR रिपोर्ट: भारत में 11.5 लाख से ज़्यादा बच्चे बाल विवाह के जोखिम में हैं

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India has over 11.5 lakh children vulnerable to child marriage

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 27 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों (UT) में 11.5 लाख से ज़्यादा बच्चे 2023-24 में बाल विवाह के जोखिम में पाए गए।

  • इन बच्चों में ज़्यादातर लड़कियाँ थीं, जो स्कूल छोड़ चुके थे या अधिकारियों को बिना किसी सूचना के लंबे समय से स्कूल नहीं जा रहे थे या अनियमित रूप से स्कूल जा रहे थे।
  • रिपोर्ट में बाल विवाह निषेध अधिकारियों (CMPO), जिला अधिकारियों और अन्य हितधारकों के साथ साझेदारी के माध्यम से बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA), 2006 के तहत NCPCR द्वारा किए गए प्रयासों को रेखांकित किया गया है।

नोट: सरकार ने भारत में बाल विवाह को रोकने के लिए परिवार परामर्श, स्कूल पुनः एकीकरण प्रयास और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय जैसे कई कदम उठाए हैं।

मुख्य निष्कर्ष:

i.रिपोर्ट के अनुसार, 5 लाख से अधिक असुरक्षित बच्चों के साथ उत्तर प्रदेश (UP) राज्यों में शीर्ष पर है, इसके बाद असम में 1.5 लाख बच्चे और मध्य प्रदेश (MP) में लगभग 1 लाख ऐसे बच्चे हैं।

  • जबकि, लक्षद्वीप और अंडमान & निकोबार द्वीप समूह जैसे केंद्र शासित प्रदेशों ने बाल विवाह के प्रति संवेदनशील किसी भी बच्चे की पहचान नहीं की है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि कई जिलों ने यह अभ्यास नहीं किया और गोवा और लद्दाख ने डेटा साझा नहीं किया।

ii.रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि बाल विवाह के खिलाफ विभिन्न जागरूकता अभियानों के माध्यम से 1.2 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुँचा गया, जिसमें UP, तमिलनाडु (TN) और आंध्र प्रदेश (AP) जैसे राज्य बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी हैं।

iii.रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि UP, MP और ओडिशा जैसे राज्यों ने अपने-अपने राज्यों में बाल विवाह के मुद्दे को संबोधित करने में मजबूत प्रतिक्रिया दिखाई।

मुख्य बिंदु:

i.मार्च 2024 में, बाल विवाह जागरूकता अभियान शुरू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप राज्यों ने 34 राज्यों/UT के लगभग 3 लाख गाँवों और ब्लॉकों को कवर करते हुए 6 लाख से अधिक स्कूलों का मानचित्रण किया।

ii.अभियान से एकत्र किए गए डेटा को राज्यों को भेज दिया गया है और उनसे बाल विवाह की रोकथाम के लिए कदम उठाने को कहा गया है।

iii.NCPCR ने सभी राज्यों को विभिन्न निवारक उपाय करने का निर्देश दिया है, जिसमें: बिना सूचना के लगातार 30 दिनों तक अनुपस्थित रहने वाले बच्चों की पहचान करने के लिए स्कूलों की मैपिंग करना और स्कूल अधिकारियों के साथ समन्वय में स्कूल छोड़ने वालों की निगरानी करना शामिल हैं।

iv.जिलों के शिक्षा विभाग को सूची तैयार करने और जिला मजिस्ट्रेट (DM) और CMPO के साथ साझा करने का निर्देश दिया गया ताकि सूची में से उन बच्चों की पहचान की जा सके जो बाल विवाह के लिए असुरक्षित हैं। उन्हें ऐसे सभी पहचाने गए बच्चों की पारिवारिक काउंसलिंग और उचित जांच करने का भी निर्देश दिया गया।

हाल ही के संबंधित समाचार:

केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) की मंत्री अन्नपूर्णा देवी यादव ने गुजरात के गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में ‘राष्ट्रीय पोषण माह 2024 या नुट्रिशन मंथ 24’ का शुभारंभ किया।  यह राष्ट्रीय पोषण अभियान की 7वीं श्रृंखला है, जो पूरे सितंबर महीने को पोषण माह के रूप में मनाती है।

  • महीने भर चलने वाले इस अभियान का उद्देश्य कुपोषण से निपटने और पूरे भारत में समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के प्रयासों को और तेज़ करना है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के बारे में:

यह महिला और बाल विकास मंत्रालय (MoW&CD) के प्रशासनिक नियंत्रण में बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित वैधानिक निकाय है।
अध्यक्ष– प्रियांक कानूनगो
मुख्यालय– नई दिल्ली, दिल्ली
स्थापना– 2007