इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) द्वारा जारी ग्लोबल पीस इंडेक्स (GPI) 2024 के 18वें संस्करण के अनुसार, भारत 163 देशों में से 116वें स्थान पर है, जो 2023 से 10 पायदान ऊपर है।
- 2008 से इस सूची में आइसलैंड पहले स्थान पर है, उसके बाद आयरलैंड (दूसरा), ऑस्ट्रिया (तीसरा), न्यूजीलैंड (चौथा) और सिंगापुर (5वां) हैं।
नोट:
i.GPI तीन क्षेत्रों में शांति की स्थिति को मापने के लिए 23 संकेतकों का उपयोग करता है: सामाजिक सुरक्षा और संरक्षा, चल रहे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष और सैन्यीकरण।
ii.इस वर्ष यह वैश्विक सैन्य क्षमता का एक नया माप प्रस्तुत करता है जो सैन्य परिष्कार, प्रौद्योगिकी और युद्ध की तत्परता को एक ही माप में शामिल करता है।
GPI इंडेक्स 2024 में शीर्ष 5:
रैंक | देश | स्कोर |
---|---|---|
1 | आइसलैंड | 1.112 |
2 | आयरलैंड | 1.303 |
3 | ऑस्ट्रिया | 1.313 |
4 | न्यूजीलैंड | 1.323 |
5 | सिंगापुर | 1.339 |
116 | भारत | 2.319 |
मुख्य निष्कर्ष:
i.इंडेक्स दर्शाता है कि देश की शांति का औसत स्तर 56% तक खराब हो गया है। यह लगातार पाँचवाँ वर्ष है जब वैश्विक शांति में गिरावट आई है।
ii.यह पिछले 16 वर्षों में शांति में 12वीं गिरावट है, जिसमें 65 देशों में सुधार हुआ है और 97 देशों में शांति में गिरावट आई है। इंडेक्स की उत्पत्ति के बाद से एक वर्ष में शांति में गिरावट दिखाने वाले देशों की यह सबसे अधिक संख्या है।
iii.मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA) क्षेत्र दुनिया का सबसे कम शांतिपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है, जहाँ यमन और सूडान में बड़े संकट इसकी खराब रेटिंग का कारण बन गए हैं।
iv.कनाडा (11) और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) (132) दोनों में हिंसक अपराधों में वृद्धि के कारण उत्तरी अमेरिका ने सभी क्षेत्रों की सबसे बड़ी औसत गिरावट दर्ज की।
v.यमन (163) अब सबसे कम शांतिपूर्ण देश है, इसके बाद सूडान (162), दक्षिण सूडान (161), अफगानिस्तान (160), और यूक्रेन (159) हैं।
सकारात्मक रुझान:
i.यूरोप दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण क्षेत्र रहा है और GPI की शुरुआत के बाद से दस सबसे शांतिपूर्ण देशों में से आठ यहीं हैं।
ii.अल साल्वाडोर (107) ने पिछले कुछ वर्षों में हत्या दर संकेतक और नागरिकों की सुरक्षा की बेहतर धारणा में उल्लेखनीय सुधार के कारण इंडेक्स में सबसे बड़ा सुधार देखा।
iii.संयुक्त अरब अमीरात (UAE), निकारागुआ और ग्रीस ने भी शांति में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की।
भारत – अवलोकन:
i.भारत ने 2023 में 2.314 के स्कोर के साथ 126वीं रैंक हासिल की, जबकि 2024 में यह 10 पायदान चढ़कर 116वीं रैंक पर पहुंच गया है।
ii.भारत 116वीं रैंक पर सूचीबद्ध है और अपने पड़ोसियों भूटान (21), नेपाल (80), चीन (88), बांग्लादेश (93) और श्रीलंका (100) से बहुत पीछे है।
ii.हालांकि, म्यांमार (148) और पाकिस्तान (140) जैसे देश भारत से पीछे हैं।
शांति में रुझान:
i.सैन्य व्यय (GDP का%) ने GPI की शुरुआत के बाद से सबसे बड़ी वार्षिक गिरावट दर्ज की। 86 देशों ने अपने सापेक्ष सैन्य व्यय में वृद्धि की, जबकि केवल 50 देशों में इसमें कमी आई।
ii.जारी संघर्ष: गाजा में संघर्ष और यूक्रेन में जारी संघर्ष शांति में गिरावट के प्राथमिक कारण थे।
iii.सुरक्षा और संरक्षण– विभिन्न स्थानों पर हिंसक प्रदर्शनों, आतंकवाद के प्रभाव और हत्या की दरों में कमी के कारण पैरामीटर के इस क्षेत्र में थोड़ा सुधार हुआ।
हिंसा का आर्थिक प्रभाव:
i.हिंसा का वैश्विक आर्थिक प्रभाव 2023 में 19.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (2022 से 158 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि) था, जो वैश्विक GDP के 13.5% या प्रति व्यक्ति 2,380 अमेरिकी डॉलर के बराबर है।
ii.यूक्रेन, अफ़गानिस्तान और उत्तर कोरिया ने 2023 में हिंसा की सबसे ज़्यादा आर्थिक कीमत चुकाई।
iii.सैन्य और आंतरिक सुरक्षा व्यय हिंसा के कुल आर्थिक प्रभाव का 74% से ज़्यादा है, जिसमें अकेले सैन्य व्यय कुल 8.4 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का 44% है।
21वीं सदी में युद्ध:
i.तकनीकी विकास और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बढ़ते संघर्षों में ड्रोन जैसी तकनीकों के इस्तेमाल जैसे मुद्दे प्रमुख होते जा रहे हैं।
ii.संघर्ष अधिक व्यापक होता जा रहा है, और ज़्यादा से ज़्यादा देश अपनी सीमाओं के बाहर संघर्षों में शामिल हो रहे हैं। 2022 में लगभग 92 देश बाहरी संघर्ष में शामिल थे।
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) के बारे में:अर्थशास्त्र & शांति संस्थान की स्थापना 2007 में स्टीव किलेलिया ने की थी
संस्थापक & कार्यकारी अध्यक्ष– स्टीव किलेलिया AM
मुख्यालय– सिडनी, ऑस्ट्रेलिया