ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच (GFW) के निगरानी परियोजना के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2000 के बाद से 2.33 मिलियन हेक्टेयर (Mha) वृक्ष आवरण खो दिया है, जो 2001-2023 के दौरान वृक्ष आवरण में 6% की कमी के बराबर है।
मुख्य निष्कर्ष:
i.आंकड़ों से पता चला है कि भारत ने 2001 से 2023 तक 4,14,000 हेक्टेयर (414 हजार हेक्टेयर (Kha)) ह्यूमिड प्राइमरी फॉरेस्ट (4.1%) खो दिया है, जो इसी अवधि में कुल वृक्ष आवरण हानि का 18% है।
ii.आंकड़ों में उल्लेख किया गया है कि 2013 से 2023 तक भारत में वृक्ष आवरण की हानि का 95% प्राकृतिक फॉरेस्ट के भीतर हुआ।
iii.आंकड़ों के अनुसार, भारत द्वारा प्राप्त कुल वृक्ष आवरण 1.88 Mha है जो वैश्विक कुल के 1.4% के बराबर है।
- अधिकतम वृक्ष आवरण लाभ वाले देश: रूस (37.2 Mha), कनाडा (17.0 Mha), संयुक्त राज्य (14 Mha), ब्राजील (8.06 Mha) और चीन (6.69 Mha) है।
अधिकतम वृक्ष आवरण हानि वाले राज्य:
i.आंकड़ों के अनुसार, 2001 से 2023 तक भारत के 5 राज्यों में कुल वृक्ष आवरण हानि का 60% हिस्सा था।
ii.असम में 66.6 kha के औसत की तुलना में 3,24,000 हेक्टेयर (324 kha) में सबसे अधिक वृक्षों का नुकसान हुआ, इसके बाद मिजोरम (312 kha), अरुणाचल प्रदेश (262 kha), नागालैंड (259 हेक्टेयर) और मणिपुर (240 kha) का स्थान है।
अधिकतम वृक्ष आवरण वाले राज्य:
i.आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल वृक्ष आवरण का 55% हिस्सा 7 राज्यों का है।
- औसतन 957 kha की तुलना में अरुणाचल प्रदेश में सबसे अधिक 6.11 मिलियन हेक्टेयर (6.11 Mha) वृक्ष आवरण था, इसके बाद असम (2.57 Mha), छत्तीसगढ़ (2.28 Mha), केरल (2.28 Mha) और ओडिशा (1.92 Mha) का स्थान था।
आग के कारण वृक्ष आवरण की हानि:
i.भारत ने 2001 से 2022 तक आग से लगभग 35.9 kha वृक्ष आवरण और नुकसान के अन्य सभी ड्राइवरों से 2.15 mha खो दिया।
ii.आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2008 में आग के कारण सबसे अधिक वृक्षों की हानि देखी गई, जिसमें 3.0 kha का नुकसान हुआ।
iii.आंकड़ों से पता चला है कि ओडिशा में आग के कारण वृक्षों के नुकसान की दर सबसे अधिक है, औसतन 238 हेक्टेयर सालाना नुकसान होता है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (198 ha), नागालैंड (195 ha), असम (116 ha) और मेघालय(97 ha) का स्थान है।
नेट कार्बन सिंक:
i.आंकड़ों के अनुसार, भारत में फॉरेस्ट ने एक वर्ष के बराबर 51 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जित किया और एक वर्ष के बराबर 141 मिलियन टन CO2 हटा दिया। इस प्रकार, नेट कार्बन सिंक एक वर्ष में 89.9 मिलियन टन CO2 के बराबर है।
ii.आंकड़ों में बताया गया है कि भारत में वृक्षों के नुकसान के कारण, प्रति वर्ष औसतन 51.0 मिलियन टन CO2 समतुल्य पारिस्थितिकी तंत्र में जारी किया गया था।
ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के बारे में:
ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI) की एक पहल है जिसे 2014 में गूगल, USAID (यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) के साथ साझेदारी में लॉन्च किया गया था।