हर साल 21 मार्च को, विश्व कविता दिवस मानवता के सांस्कृतिक और भाषाई अभिव्यक्ति और पहचान के सबसे क़ीमती रूपों का जश्न मनाता है।
यह कवियों का सम्मान करने, मौखिक कविता पाठ परंपराओं को पुनर्जीवित करने, कविता पढ़ने, लिखने और शिक्षण को बढ़ावा देने, रंगमंच, नृत्य, संगीत और पेंटिंग जैसी अन्य कलाओं के साथ कविता के संलयन को विकसित करने और मीडिया में कविता की दृश्यता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
- 21 मार्च 2000 को पहली बार विश्व कविता दिवस का आयोजन किया गया था।
इतिहास:
i.संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने 1999 में पेरिस में अपने 30वें आम सम्मेलन में पहली बार 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में अपनाया था।
ii.इसे काव्यात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से भाषाई विविधता का समर्थन करने और लुप्तप्राय भाषाओं को सुनने के अवसर को बढ़ाने के उद्देश्य से नामित किया गया था।
IDIL 2022-2032:
UNESCO की अध्यक्षता में स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय दशक (IDIL) 2022-2032, 21 मार्च, 2022 को विश्व कविता दिवस के साथ शुरू होता है, जो स्वदेशी लोगों को उनकी संस्कृतियों, ज्ञान और अधिकार संरक्षण के प्रयासों में मदद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
जीवित परंपराओं को संरक्षित करने के अपने प्रयासों के हिस्से के रूप में, UNESCO ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में कई काव्य रूपों को रखा है, जिसमें शामिल हैं
- फिलीपींस के हुदहुद मंत्र,
- वेनेजुएला की मापोयो मौखिक परंपरा,
- एशुवा, हरकम्बुत संग प्रेयर्स ऑफ़ पेरू
- युगांडा की कूगेरे मौखिक परंपरा
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के बारे में:
भारत 1946 में UNESCO में शामिल हुआ।
महानिदेशक– ऑड्रे अज़ोले
स्थापना– 1946
सदस्य राज्य– 193 सदस्य और 11 सहयोगी सदस्य
मुख्यालय– पेरिस, फ्रांस