“नाइटिंगेल ऑफ इंडिया ” या “भारत कोकिला” के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू की जयंती मनाने के लिए हर साल 13 फरवरी को पूरे भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
महत्व:
i.यह दिन पितृसत्तात्मक भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकारों की स्थापना के लिए सरोजिनी नायडू द्वारा दिए गए योगदान का जश्न मनाता है।
ii.इस दिवस का उद्देश्य भारत में महिलाओं के सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक योगदान को पहचानना है और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाना है।
नोट: संयुक्त राष्ट्र (UN) का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (IWD) प्रतिवर्ष 8 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है।
सरोजिनी नायडू के बारे में:
i.उनका जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद, तेलंगाना में हुआ था। वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी और कवयित्री थीं, जो भारत में महिला आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़ी थीं।
ii.वह 1923-1929 तक बॉम्बे नगर निगम की सदस्य थीं।
iii.उन्हें 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। वह इस पद को संभालने वाली पहली भारतीय महिला थीं।
iv.वह किसी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली महिला बनीं।
- उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 2 मार्च 1949 को अपनी मृत्यु तक स्वतंत्र भारत के संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश-UP) की पहली राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
v.महात्मा गांधी ने उनकी कविता में असाधारण गुणों के लिए ‘द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ या ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी थी।
vi.वह नमक सत्याग्रह आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थीं।
vii.एनी बेसेंट और अन्य लोगों के साथ, उन्होंने 1917 में महिला भारत संघ (WIA) की सह-स्थापना की।
उल्लेखनीय कार्य: द गोल्डन थ्रेशोल्ड (1905); इन द बाज़ारस ऑफ हैदराबाद (1912); द बर्ड ऑफ टाइम: सांग्स ऑफ लाइफ & द स्प्रिंग (1912); द सेपट्रेंड फ्लूट: (1928); और द फीदर ऑफ द डौन :(1961)।
पुरस्कार: ब्रिटिश सरकार ने भारत में प्लेग महामारी के दौरान उनकी सेवा के लिए सरोजिनी नायडू को ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक से सम्मानित किया।