संयुक्त राष्ट्र (UN) का अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस प्रतिवर्ष 23 जून को दुनिया भर में विधवाओं के अनुभवों के बारे में जागरूकता पैदा करने और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए मनाया जाता है।
यह दिन विधवाओं के लिए पूर्ण अधिकार और मान्यता प्राप्त करने की दिशा में कार्रवाई का अवसर प्रदान करता है।
पृष्ठभूमि:
i.संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 21 दिसंबर 2010 को संकल्प A/RES/65/189 को अपनाया और हर साल 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस के रूप में मनाने को घोषित किया।
ii.अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस 26 मई 2005 को लंदन में हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लॉन्च किए गए लूंबा फाउंडेशन की एक पहल है।
iii.लूंबा फाउंडेशन ने अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस की संयुक्त राष्ट्र मान्यता के लिए 5 साल के वैश्विक अभियान का नेतृत्व किया था।
दुनिया भर में विधवाएँ:
i.संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया भर में लगभग 258 मिलियन विधवाएं हैं और 10 में से एक विधवा अत्यधिक गरीबी में रहती हैं।
ii.अनुमान है कि दुनिया भर में लगभग 1.36 मिलियन विधवाएं बाल विधवा हैं।
विधवापन की चुनौतियां
i.दुनिया भर में विधवाओं को आर्थिक असुरक्षा, रूढ़ियों, पूर्वाग्रहों और हानिकारक पारंपरिक प्रथाओं जैसे गंभीर परिणामों के साथ विभिन्न मुद्दों का सामना करना पड़ता है।
ii.विभिन्न संस्कृतियों में विधवाओं की सुरक्षा, शारीरिक स्वायत्तता, न्याय और गरिमा के अधिकारों से इनकार किया जाता है और उन्हें एक नए नामित साथी, जैसे कि मृतक पति के भाई या उसके अन्य रिश्तेदार द्वारा जबरन “भेजा” या “विरासत में” दे दिया जाता है।
लूंबा फाउंडेशन के बारे में:
लूंबा फाउंडेशन यूनाइटेड किंगडम (UK), भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में एक पंजीकृत चैरिटी संस्था है।
संस्थापक और अध्यक्ष ट्रस्टी– लॉर्ड राज लूंबा