राष्ट्रीय वन शहीद दिवस प्रतिवर्ष 11 सितंबर को पूरे भारत में उन लोगों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने भारत के जंगलों और वन्य जीवन को संरक्षित करने के लिए अपनी जान दे दी। यह दिन 1730 में खेजड़ली नरसंहार की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
पार्श्वभूमि:
i.2013 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने आधिकारिक तौर पर 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
ii.11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में चुना गया था, क्योंकि इसी दिन 1730 में राजस्थान में खेजड़ली नरसंहार हुआ था।
खेजरली नरसंहार के बारे में:
i.1730 में, राजस्थान के महाराजा अभय सिंह के आदेश के तहत, मंत्री गिरिधर भंडारी के नेतृत्व में एक शाही दल खेजड़ली गांव में कुछ खेजड़ी पेड़ों को गिराने गया था जो बिश्नोई समुदाय के लिए पवित्र थे।
ii.अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में ग्रामीणों ने अपने खेजड़ी के पेड़ों को राजा के आदमियों को सौंपने से इनकार कर दिया।
iii.इसके कारण अमृता देवी बिश्नोई और उनकी बेटियों के साथ 350 से अधिक बिश्नोई का नरसंहार हुआ, जिन्होंने पेड़ों को बचाने के लिए स्वेच्छा से काम किया।
महत्व:
i.राष्ट्रीय वन शहीद दिवस जंगल के संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने और पर्यावरण की रक्षा में पेड़ों के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है।
ii.खेजरली नरसंहार चिपको आंदोलन जैसे कई अन्य कार्यकर्ताओं और आंदोलनों को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें लोगों ने पेड़ों को गिरने से बचाने के लिए उन्हें गले लगाया था।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के बारे में:
केंद्रीय मंत्री – भूपेंद्र यादव (राज्य सभा- राजस्थान)
राज्य मंत्री – अश्विनी कुमार चौबे (निर्वाचन क्षेत्र- बक्सर, बिहार)