4 फरवरी, 2021 को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने 1,340 करोड़ रुपये के ‘मुख्यमंत्री जल संरक्षण कार्यक्रम’ के कार्यान्वयन को मंजूरी दी। यह महाराष्ट्र के मृदा और जल संरक्षण विभाग द्वारा 3 साल (अप्रैल 2020-मार्च 2023) की अवधि के लिए लागू किया जाएगा।
i.योजना का उद्देश्य – महाराष्ट्र में मौजूदा जल निकायों की मरम्मत और बहाली करना और सिंचाई क्षमता में सुधार करना।
ii.योजना के निर्माण
-छोटे गांवों में उपयोग के लिए भंडारण क्षमता बढ़ाने के तहत 7,916 के आसपास जल संसाधनों की मरम्मत की जाएगी।
-छोटे बांधों के लिए एक विशेष मरम्मत कार्यक्रम (रिसाव को ठीक करना और भंडारण क्षमता बढ़ाना) शुरू किया जाएगा। तालाबों, झीलों और बांधों, सीमेंट के नल्ला बांधों जैसे जल निकायों पर 600 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता की सीमा के भीतर छोटे बांध मरम्मत के तहत लिए जाएंगे।
-पानी की बर्बादी को खत्म करने के लिए नहर की मरम्मत के काम भी किए जाएंगे।
iii.निरीक्षण और कार्यान्वयन:
कार्यक्रम का निरीक्षण मृदा और संरक्षण विभाग के सतर्कता और गुणवत्ता नियंत्रण टीम द्वारा समय-समय पर किया जाएगा।
-परियोजना की प्रगति की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर एक परियोजना कार्यान्वयन सेल की स्थापना की जाएगी।
iv.पृष्ठभूमि:
-दिसंबर 2019 में, महाराष्ट्र सरकार ने जल संरक्षण कार्यक्रम ‘जलयुक्त शिवहर’ के कार्यान्वयन को रोक दिया था।
-जलयुक्त शिवहर को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस द्वारा महाराष्ट्र को ‘सूखा-मुक्त’ बनाने के लिए पेश किया गया था।
-महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, जमीनी स्तर पर ‘काम की खराब गुणवत्ता’ के कारण इस कार्यक्रम रोक दिया गया था।
हाल के संबंधित समाचार:
22 दिसंबर 2020 को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) ने अपनी ‘मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0’ पहल के तहत 25 भारतीय कंपनियों के साथ 61,042 करोड़ रुपए मूल्य के समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
महाराष्ट्र के बारे में:
प्रमुख नदियाँ – गोदावरी, कृष्णा
जनजातियाँ – ठाकर, कटकरी (जिसे कथोड़ी भी कहा जाता है)