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UNICEF की SOWC 2024 रिपोर्ट: वैश्विक बाल जनसंख्या 2050 तक लगभग 2.3 बिलियन पर स्थिर होने की उम्मीद 

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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की वैश्विक प्रमुख रिपोर्ट स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन (SOWC 2024) के अनुसार, जिसका शीर्षक “द फ्यूचर ऑफ चाइल्डहुड इन ए चेंजिंग वर्ल्ड” है, वैश्विक बाल जनसंख्या 2050 तक लगभग 2.3 बिलियन पर स्थिर हो जाएगी, और क्षेत्रीय वितरण में महत्वपूर्ण बदलाव होगा।

  • रिपोर्ट विश्व बाल दिवस (20 नवंबर, 2024) के अवसर पर नई दिल्ली, दिल्ली में जारी की गई।

SOWC 2024 के बारे में:

i.रिपोर्ट 1989 से UNICEF द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाती है।

ii.रिपोर्ट में तीन मेगाट्रेंड:जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु और पर्यावरण संकट, और अग्रणी प्रौद्योगिकियां की जांच की गई है जो संभावित रूप से अब से 2050 के बीच बच्चों के जीवन को प्रभावित करेंगे।

iii.विट्गेन्स्टाइन सेंटर फॉर डेमोग्राफी एंड ग्लोबल ह्यूमन कैपिटल के साथ साझेदारी में UNICEF द्वारा विश्लेषित भविष्य के परिदृश्यों से ,ये मेगाट्रेंड 2050 में बचपन को किस प्रकार आकार देंगे,इस बारे में गहन जानकारी मिलती है।

iv.रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 7 प्रमुख क्षेत्रों: बाल अस्तित्व और जीवन प्रत्याशा; जलवायु और पर्यावरणीय खतरे; सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ; शिक्षा; लैंगिक समानता; संघर्ष प्रदर्शन; और शहरीकरण के परिदृश्य विश्लेषण से प्राप्त हुए हैं।

3 मेगाट्रेंड से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष:

i.जनसांख्यिकीय बदलाव: रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के साथ-साथ पश्चिम और मध्य अफ्रीका के साथ दुनिया के सबसे बड़ी बाल आबादी वाले क्षेत्रों में से एक बना रहेगा।

  • रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जनसंख्या में बच्चों की हिस्सेदारी हर क्षेत्र में घटेगी, उदाहरण के लिए: अफ्रीका में बच्चों की हिस्सेदारी 2000 के दशक में लगभग 50% की तुलना में 40% से कम होने की उम्मीद है।
  • इसके बाद पूर्वी एशिया, पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और विभिन्न उच्च आय वाले देशों (HIC) जैसे ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया गणराज्य और सिंगापुर में 19% से कम की गिरावट आएगी।

 

ii.जलवायु और पर्यावरण संकट: वैश्विक स्तर पर, लगभग 1 बिलियन बच्चे पहले से ही जलवायु और पर्यावरणीय खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं और यह आंकड़ा महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के बिना नाटकीय रूप से बढ़ने का अनुमान है।

  • बच्चों के विकासशील शरीर प्रदूषण और चरम मौसम के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, उनके मस्तिष्क, फेफड़े और प्रतिरक्षा प्रणाली जन्म से पहले ही कमजोर हो जाती हैं।
  • 2022 से, दुनिया भर में 400 मिलियन बच्चों को चरम मौसम की स्थिति के कारण स्कूल बंद होने का सामना करना पड़ा है।

iii.फ्रंटियर टेक्नोलॉजीस: इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), न्यूरोटेक्नोलॉजी, नेक्स्ट-जनरेशन रिन्यूएबल एनर्जी और mRNA वैक्सीन की सफलताएं शामिल हैं जो भविष्य में बचपन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं।

  • हालांकि, उच्च आय वाले देशों में 95% से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं; कम आय वाले देशों में केवल 26% लोगों के पास ही इंटरनेट तक पहुंच है।
  • इस डिजिटल बहिष्करण से मौजूदा असमानताएं बढ़ने का खतरा है, खासकर अफ्रीका में जहाँ तेजी से बढ़ती बाल आबादी वाले क्षेत्रों हैं।

अन्य मुख्य निष्कर्ष:

i.बाल जीवन और जीवन प्रत्याशा: वैश्विक स्तर पर, नवजात शिशुओं की जीवन प्रत्याशा 2000 के दशक से 4% अंक बढ़कर 98% से अधिक हो गई है।

  • 5 वर्ष की आयु तक जीवित रहने वाले बच्चे की संभावना 99.5%(2000 के दशक से 1% अंक की वृद्धि) तक बढ़ जाती है ।
  • लड़कियों और लड़कों के लिए जीवन प्रत्याशा 2000 के दशक में 70 वर्ष और 66 से बढ़कर क्रमशः 81 वर्ष और 76 हो गई है।

ii.जलवायु और पर्यावरण संबंधी खतरे: रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2000 के दशक की तुलना में 2050 के दशक तक बच्चों के चरम मौसम की स्थिति के संपर्क में आने की दर काफी अधिक होगी, जैसे:

  • लगभग 8 गुना अधिक बच्चों के चरम गर्मी की लहरों के संपर्क में आने का अनुमान है, 3.1 गुना अधिक नदी बाढ़, 1.7 गुना अधिक जंगल की आग, 1.3 गुना अधिक सूखे और 1.2 गुना अधिक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के संपर्क में आने का अनुमान है।

iii.सामाजिकआर्थिक स्थितियाँ: रिपोर्ट के अनुसार, 2050 के दशक में वैश्विक बच्चों का 23% , 28 निम्न आय वाले देशों में रहने का अनुमान है, जबकि 2000 के दशक में यह 11% था।

  • साथ ही, 2020 से 2050 के दशक तक पूर्वी एशिया और प्रशांत और दक्षिण एशिया में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दोगुने से अधिक होने का अनुमान है।

iv.शिक्षा: रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2050 के दशक तक 95.7% बच्चों के कम से कम प्राथमिक शिक्षा (2000 के दशक में 80% से अधिक) होने की उम्मीद है, जबकि 77% के कम से कम उच्च माध्यमिक शिक्षा (2000 के दशक में 40% से अधिक) होने का अनुमान है।

  • पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका तथा पश्चिमी और मध्य अफ्रीका को 2050 के दशक तक 31 मिलियन अतिरिक्त शिक्षकों की आवश्यकता है।

v.संघर्ष प्रदर्शन: रिपोर्ट के अनुसार, संघर्ष क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की संख्या 2000 के दशक में 833 मिलियन से घटकर 2050 के दशक में 622 मिलियन होने का अनुमान है।

  • हालांकि, पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका क्षेत्र में लंबे समय तक उप-राष्ट्रीय संघर्ष का सामना करने के जोखिम वाले बच्चों की संख्या 71 मिलियन (2000 के दशक में) से बढ़कर 97.8 मिलियन (2050 के दशक में) और पश्चिम और मध्य अफ्रीका में 5.1 मिलियन से बढ़कर 69 मिलियन होने का अनुमान है।

 vi.शहरीकरण: रिपोर्ट ने अनुमान लगाया है कि 2050 के दशक में वैश्विक स्तर पर लगभग 60% बच्चे शहरी परिवेश में रहेंगे, जो 2000 के दशक में 44% था।

  • लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में शहरी क्षेत्रों में वैश्विक बच्चों का सबसे बड़ा हिस्सा (84%) होने का अनुमान है, इसके बाद पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका (45%) का स्थान है।

भारतविशिष्ट

i.रिपोर्ट से पता चला है कि 2040 के दशक तक भारत में 34 मिलियन लोग नदी की अत्यधिक बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं, जबकि तटीय बाढ़ से 2070 के दशक तक 18 मिलियन लोग प्रभावित होने का अनुमान है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के बारे में:

कार्यकारी निदेशक– कैथरीन मैरी रसेल
मुख्यालय– न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
स्थापना– 1946