दिसंबर 2024 में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी (असम) ने IIT मंडी (हिमाचल प्रदेश, HP) और बेंगलुरु (कर्नाटक) स्थित विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नीति अध्ययन केंद्र (CSTEP) के साथ मिलकर नई दिल्ली (दिल्ली) में IIT दिल्ली में “डिस्ट्रिक्ट–लेवल क्लाइमेट रिस्क असेसमेंट फॉर इंडिया: मैपिंग फ्लड एंड ड्राउट रिस्क्स यूसिंग IPCC फ्रेमवर्क” शीर्षक से रिपोर्ट विकसित और जारी की।
- यह रिपोर्ट भारत के 698 जिलों में बाढ़ और सूखे के जोखिमों का व्यापक गहन विश्लेषण प्रदान करती है।
- यह रिपोर्ट विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MoS&T) के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सहयोग से स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (SDC) के साथ साझेदारी में तैयार की गई थी।
मुख्य लोग:
i.रिपोर्ट को DST के वैज्ञानिक प्रभागों की प्रमुख डॉ. अनीता गुप्ता; पियरे-यवेस पिटलाउड, दक्षिण एशिया में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR), जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (CCA) और त्वरित प्रतिक्रिया (RR) पर वरिष्ठ क्षेत्रीय सलाहकार, SDC, स्विट्जरलैंड दूतावास आदि ने जारी किया।
ii.रिपोर्ट में योगदान देने वाले प्रमुख शोधकर्ता जैसे: भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु, कर्नाटक से प्रोफेसर N.H. रवींद्रनाथ; CSTEP से डॉ. इंदु K. मूर्ति; IIT मंडी की डॉ. श्यामाश्री दासगुप्ता और IIT गुवाहाटी की डॉ. अनामिका बरुआ, साथ ही DST, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और अन्य हितधारक भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।
मुख्य निष्कर्ष:
i.रिपोर्ट जिला स्तर पर बाढ़ और सूखे के खतरे, जोखिम और भेद्यता मानचित्र प्रदान करती है, जिससे भारत के लिए व्यापक बाढ़ और सूखे के जोखिम मानचित्र बनाने में मदद मिली।
- रिपोर्ट के अलावा, कार्यक्रम के दौरान एक विस्तृत उपयोगकर्ता पुस्तिका भी जारी की गई।
ii.रिपोर्ट में 51 जिलों को ‘बहुत उच्च’ बाढ़ जोखिम श्रेणी में और 118 जिलों को ‘उच्च’ बाढ़ जोखिम श्रेणी में रखा गया है।
- इन जिलों में से लगभग 85% असम, बिहार, उत्तर प्रदेश (UP), पश्चिम बंगाल (WB), गुजरात, ओडिशा और जम्मू & कश्मीर (J&K) में हैं।
iii.रिपोर्ट में 91 जिलों को ‘बहुत उच्च’ सूखा जोखिम श्रेणी में और 188 जिलों को ‘उच्च’ सूखा जोखिम श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। इन जिलों में से 85% से अधिक बिहार, असम, झारखंड, ओडिशा, UP, महाराष्ट्र, WB, कर्नाटक, तमिलनाडु (TN), छत्तीसगढ़, केरल, उत्तराखंड और हरियाणा में स्थित हैं।
iv.सबसे अधिक बाढ़ जोखिम और सबसे अधिक सूखा जोखिम वाले शीर्ष 50 जिलों में 11 भारतीय जिले शामिल हैं, जिनमें: पटना (बिहार); अलपुझा (केरल); केंद्रपाड़ा (ओडिशा); मुर्शिदाबाद, नादिया और उत्तर दिनाजपुर (WB); चराईदेव, डिब्रूगढ़, सिबसागर, दक्षिण सलमारा मनकाचर और गोलाघाट (असम) बाढ़ और सूखे दोनों के लिए ‘बहुत उच्च’ जोखिम में हैं, और आवश्यक तत्काल हस्तक्षेप पर जोर दिया गया है।
अन्य मुख्य बिंदु:
i.रिपोर्ट ने बाढ़ और सूखे से उत्पन्न चुनौतियों की पहचान करने के लिए IPCC ढांचे का उपयोग किया है और कमजोर आबादी पर उनके प्रभाव को उजागर किया है।
ii.रिपोर्ट हिमालयी राज्यों के लिए पहले जारी किए गए जलवायु परिवर्तन भेद्यता मानचित्र पर आधारित थी, जिसे 2019 में इसी टीम द्वारा तैयार किया गया था।
iii.रिपोर्ट ने राज्य स्तर पर क्षमता निर्माण के महत्व को रेखांकित किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन प्रकोष्ठ और संबद्ध विभाग शामिल हैं, जो जोखिम आकलन को उनकी अनुकूलन रणनीतियों में एकीकृत करने के लिए उपकरण और कार्यप्रणाली रखते हैं।
iv.रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष राज्य सरकारों को जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना (SAPCC) में जलवायु जोखिम आकलन को एकीकृत करने में मदद करेंगे। इसने उभरते जोखिमों जैसे: गर्मी के तनाव और भूस्खलन को संबोधित करने और तैयारी और लचीलेपन को मजबूत करने के लिए उन्हें जोखिम आकलन में जोड़ने के महत्व पर प्रकाश डाला।
हाल ही के संबंधित समाचार:
नवंबर 2024 में जारी केंद्रीय जल आयोग (CWC) की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियल झीलों और अन्य जल निकायों के क्षेत्रों में कुल मिलाकर 10.81% की वृद्धि देखी गई, जो 2011 में 5.33 लाख हेक्टेयर (ha) से बढ़कर 2024 में 5.91 लाख हेक्टेयर हो गई, जो ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) के बढ़ते जोखिम की ओर इशारा करती है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ग्लेशियल झीलों का कुल इन्वेंट्री क्षेत्र 33.7% बढ़ा है, यानी 2011 के दौरान 1,962 ha से बढ़कर 2024 (सितंबर) के दौरान 2,623 ha हो गया है।