2 दिसंबर 2024 को, राजस्व विभाग (DoR), वित्त मंत्रालय (MoF) ने अधिसूचित किया है कि भारत सरकार (GoI) ने विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) को वापस ले लिया है, जिसे आमतौर पर विंडफॉल टैक्स के रूप में जाना जाता है, जिससे एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF), कच्चे तेल, पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले शुल्क समाप्त हो गए हैं। यह कदम, जो की तुरंत प्रभावी है, का उद्देश्य तेल क्षेत्र में लाभप्रदता बढ़ाना, ऊर्जा उद्योग में विकास को बढ़ावा देना और निर्यात को बढ़ावा देना है।
- इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर सड़क एवं अवसंरचना उपकर (RIC) भी हटा दिया गया है।
प्रमुख बिंदु:
i.यह निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), DoR, MoF तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) द्वारा विस्तृत समीक्षा के बाद लिया गया।
ii.कर को हटाने से कच्चे तेल के उत्पादन और रिफाइनरी निर्यात में शामिल प्रमुख उद्योग हितधारकों को लाभ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि इससे रिफाइनिंग मार्जिन में वृद्धि होगी और निर्यात प्रतिबंधों में ढील मिलेगी।
विंडफॉल टैक्स के बारे में:
i.जुलाई 2022 में विंडफॉल टैक्स की शुरुआत की गई थी, ताकि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के दौरान, जो की रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण हुई थी, तेल कंपनियों द्वारा अर्जित असाधारण मुनाफे को कम किया जा सके।
ii.इस कर का उद्देश्य मूल्य वृद्धि के दौरान सरकारी राजस्व को स्थिर करना था, जो घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल और पेट्रोल, डीजल और ATF जैसे परिष्कृत ईंधन के निर्यात दोनों पर लागू हुआ करता था।
iii.इसके कार्यान्वयन के बाद से, अप्रत्याशित कर ने महत्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न किया है, जिसमें पहले वर्ष में 25,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 13,000 करोड़ रुपये और 2024 में 6,000 करोड़ रुपये शामिल हैं, जो तेल की कीमतों में गिरावट के कारण इसकी घटती प्रभावशीलता को दर्शाता है।
प्रमुख उतार–चढ़ाव :
- कच्चे तेल के उत्पादन पर शुल्क को औसत वैश्विक तेल कीमतों के आधार पर हर पखवाड़े संशोधित किया जाता था।
- उदाहरण के लिए, 31 अगस्त 2024 तक कच्चे तेल पर कर 1,850 रुपये प्रति टन था, लेकिन अगली पाक्षिक समीक्षा में इसे घटाकर शून्य कर दिया गया था।
- पेट्रोल पर निर्यात शुल्क जुलाई 2022 में समाप्त हो गया था, जबकि डीजल और एटीएफ निर्यात पर कर मार्च 2023 में शून्य हो गया था।
हटाने के कारण:
i.कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट: वैश्विक तेल की कीमतें स्थिर हो गई हैं, जिससे कर द्वारा शुरू में लक्षित अतिरिक्त राजस्व में कमी आई है।
ii.उद्योग की चिंताएं: कम्पनियों ने तर्क दिया कि कर से लाभप्रदता प्रभावित हुई तथा उत्पादन में वृद्धि में बाधा उत्पन्न हुई।
iii.विकास रणनीति: शुल्क हटाना सरकार के ऊर्जा क्षेत्र के विकास को बढ़ाने और निर्यात को मजबूत करने के उद्देश्य के अनुरूप है।
टिप्पणी: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है, जो जामनगर, गुजरात में भारत की सबसे बड़ी निर्यात-केवल तेल रिफाइनरी संचालित करती है, साथ ही रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी लिमिटेड, जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है, देश में प्राथमिक ईंधन निर्यातक हैं।
हाल ही में संबंधित समाचार:
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के आर्थिक विभाग, इकोरैप द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन, जिसका शीर्षक है ‘हाऊ टैक्स सिम्प्लिफिकेशन हैस गिवेन ए नेसेस्सरी फ़िलिप टू ITR फाइलिंग‘, में वित्तीय वर्ष 2013-14 (FY14) से 2022-23 (FY23) तक भारत में सालाना 5 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्तियों के लिए आय असमानता में कुल 74.2% की कमी आई है।
- आय असमानता में सालाना 3.5 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्तियों की हिस्सेदारी FY14 में 31.8% से घटकर FY21 में 12.8% हो गई, जो उनकी जनसंख्या हिस्सेदारी के सापेक्ष 19% सुधार को दर्शाता है।
वित्त मंत्रालय के बारे में:
केंद्रीय मंत्री-निर्मला सीतारमण (राज्यसभा-कर्नाटक)
राज्य मंत्री (MoS)-पंकज चौधरी (निर्वाचन क्षेत्र-महाराजगंज, उत्तर प्रदेश, UP)