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DRDO & IN ने ओडिशा में अपनी तरह के पहले ‘NASM-SR’ का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया 

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फरवरी 2025 में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय नौसेना (IN) के सहयोग से, अपनी तरह के पहले, स्वदेशी रूप से विकसित नौसेना एंटी-शिप मिसाइल शॉर्ट रेंज (NASM-SR) का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया।

  • परीक्षण ओडिशा के तट पर चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) में किए गए, जिसमें मिसाइल को IN के सी किंग 42B हेलीकॉप्टर से लॉन्च किया गया।
  • यह मिसाइल सी ईगल मिसाइलों की जगह लेगी जो वर्तमान में IN के साथ उपयोग में हैं।

नौसेना एंटी-शिप मिसाइल शॉर्ट रेंज (NASM-SR) के बारे में: 

i.NASM-SR DRDO की कई प्रयोगशालाओं के सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है, जिनमें: हैदराबाद (तेलंगाना) में अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI); हैदराबाद में रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL); पुणे (महाराष्ट्र) में उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (HEMRL) और चंडीगढ़ (पंजाब) में टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला (TBRL) शामिल हैं।

ii.मिसाइल के उत्पादन में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME), स्टार्टअप और अन्य उत्पादन भागीदारों के साथ साझेदारी शामिल है, जो रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर “आत्मनिर्भर भारत” पहल में योगदान दे रही है।

मुख्य विशेषताएं:

i.मैन-इन-लूप क्षमता: NASM-SR ने अपनी मैन-इन-लूप सुविधा का प्रदर्शन किया, जिससे मिसाइल के संचालन के दौरान मानवीय हस्तक्षेप की अनुमति मिलती है।

  • यह क्षमता पायलट को उड़ान के विशिष्ट चरणों में स्वचालित प्रणालियों को नियंत्रित या ओवरराइड करने में सक्षम बनाती है।

ii.LOAL: मिसाइल को बेयरिंग-ओनली लॉक-ऑन आफ्टर लॉन्च (LOAL) मोड में लॉन्च किया गया था, शुरुआत में एक व्यापक लक्ष्य दिशा द्वारा निर्देशित, फिर एक छोटे लक्ष्य को सटीक रूप से मारा।

iii.सटीक हमला: मिसाइल ने समुद्र-स्किमिंग मोड में काम करते हुए 50 किलोमीटर (km) की अपनी अधिकतम सीमा पर एक छोटे जहाज को सफलतापूर्वक निशाना बनाया और मारा।

  • सी-स्किमिंग में दुश्मन के रडार से बचने के लिए मिसाइल समुद्र की सतह के करीब उड़ती है।

iv.उन्नत मार्गदर्शन प्रणाली: टर्मिनल मार्गदर्शन के लिए स्वदेशी इमेजिंग इन्फ्रा-रेड (IIR) सीकर से लैस, NASM-SR में एक उच्च-बैंडविड्थ 2-तरफ़ा डेटा लिंक सिस्टम भी है।

  • यह सिस्टम पायलट को लाइव सीकर इमेज भेजता है, जिससे उड़ान के दौरान पुनः लक्ष्यीकरण की सुविधा मिलती है।

v.मिड-कोर्स नेविगेशन: मिसाइल सटीक मिड-कोर्स मार्गदर्शन के लिए फाइबर ऑप्टिक जाइरोस्कोप (FOG)-आधारित इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और रेडियो अल्टीमीटर (RA) का उपयोग करती है।

vi.एकीकृत एवियोनिक्स: एक एकीकृत एवियोनिक्स मॉड्यूल विभिन्न मिसाइल कार्यों का प्रबंधन करता है, जबकि इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर वायुगतिकीय और जेट वेन नियंत्रण प्रदान करते हैं, जिससे चुस्त पैंतरेबाज़ी और लक्ष्य प्राप्ति सुनिश्चित होती है।

vii. वारहेड: इसमें प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) वारहेड होता है, जिसे प्रभावी लक्ष्य भेदन के लिए डिज़ाइन किया गया है।

viii. पावर और प्रोपल्शन: NASM-SR में बिजली आपूर्ति के लिए थर्मल बैटरी शामिल हैं और यह एक ठोस प्रणोदन प्रणाली पर काम करता है, जिसमें एक इन-लाइन इजेक्टेबल बूस्टर और निरंतर उड़ान और लक्ष्य प्रभाव के लिए एक लॉन्ग-बर्न सस्टेनर शामिल है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के बारे में: 

DRDO रक्षा विभाग (DoD), अनुसंधान और विकास (R&D), रक्षा मंत्रालय (MoD), भारत सरकार (GoI) के तहत भारत की प्रमुख एजेंसी है।
अध्यक्ष– डॉ. समीर वैंकटपति कामत
मुख्यालय– नई दिल्ली, दिल्ली
स्थापना-1958