‘आत्मनिर्भर भारत’ की तर्ज पर, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के रक्षा प्रयोगशाला, जोधपुर (DLJ), राजस्थान और उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (HEMRL-High Energy Materials Research Laboratory), पुणे (महाराष्ट्र) ने भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए एक उन्नत चैफ सामग्री और चैफ कारतूस-118/I विकसित किया है।
- यह तकनीक शत्रुतापूर्ण रडार खतरों खिलाफ भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की रक्षा करेगी।
- IAF सफल उपयोगकर्ता परीक्षणों के बाद इस तकनीक को शामिल करेगा।
उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी क्या है?
यह एक इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मेज़र डिस्पेंसिंग सिस्टम (CMDS) है जो नौसेना के जहाजों और विमानों जैसी रक्षा संपत्तियों की रक्षा के लिए इन्फ्रा-रेड, रेडियो फ्रीक्वेंसी और रडार खतरों के खिलाफ निष्क्रिय जामिंग प्रदान करता है ताकि विमान की उत्तरजीविता सुनिश्चित हो सके।
- हवा में बहुत कम मात्रा में चैफ सामग्री तैनात की जाती है जो दुश्मन की मिसाइलों को गुमराह या विक्षेपित करेगी।
- चैफ कई छोटे एल्यूमीनियम या जस्ता लेपित फाइबर से बना है। इसे विमान में कारतूस के रूप में रखा जाएगा।
ध्यान देने योग्य बिंदु:
कुछ महीने पहले, DLJ ने मिसाइल हमलों से बचाने के लिए नौसेना के जहाजों के लिए तीन प्रकारों में एक समान तकनीक विकसित की थी। तीन वेरिएंट हैं:
- शॉर्ट रेंज चैफ रॉकेट (SRCR)
- मीडियम रेंज चैफ रॉकेट (MRCR)
- लॉन्ग रेंज चैफ रॉकेट (LRCR)
भारतीय नौसेना ने सफल परिणामों के साथ अरब सागर में तीनों प्रकारों का परीक्षण किया था।
हाल के संबंधित समाचार:
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की एक प्रयोगशाला, रक्षा धातुकर्म अनुसंधान प्रयोगशाला (DMRL-Defence Metallurgical Research Laboratory) ने एक स्वदेशी उच्च शक्ति मेटास्टेबल बीटा टाइटेनियम मिश्र धातु विकसित की है। यह एयरोस्पेस अनुप्रयोगों के लिए जटिल घटकों के निर्माण में उपयोगी होगा।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के बारे में:
स्थापना– 1958
यह भारतीय सेना के तत्कालीन तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDE) और रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के साथ तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (DTDP-Directorate of Technical Development & Production) का एक समामेलन है।
अध्यक्ष– डॉ G सतीश रेड्डी
मुख्यालय– नई दिल्ली