10 मार्च 2021 को, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भूमि आधारित प्रोटोटाइप को साबित करते हुए एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) के विकास की उपलब्धि हासिल की।
- उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुसार, इस संयंत्र को टिकाव मोड के साथ-साथ अधिकतम पावर मोड में कार्य किया गया था।
- L&T और थर्मेक्स विकास के लिए इस उद्योग के भागीदार हैं।
- DRDO की एक भारतीय रक्षा प्रयोगशाला नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (NMRL) ने इस प्रणाली को विकसित किया है।
AIP के कार्य
- एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) का डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी की घातकता पर बल गुणक प्रभाव पड़ता है।
- यह प्रणाली अन्य प्रौद्योगिकियों की तुलना में नाव के जलमग्न स्थायित्व के लिए शक्ति को बढ़ाएगी।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के बारे में
DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का R & D शाखा है। DRDO का गठन 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDE) और तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (DTDP) के विलय से हुआ था।
स्थापना – 1958
आदर्श वाक्य – “बलस्य मूलं विज्ञानम्” (अर्थ- विज्ञान ही बल का मूल (आधार) है।)
रक्षा अनुसंधान एवं विकास के सचिव और DRDO के अध्यक्ष, – डॉ G. सतीश रेड्डी
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