विश्व संस्कृत दिवस, जिसे अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत दिवस/विश्व संस्कृत दिनम के रूप में भी जाना जाता है, प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा पर दुनिया भर में मनाया जाता है, जो भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सावन (Sawan) के हिंदू महीने की पूर्णिमा के दिन है।
- विश्व संस्कृत दिवस 2025 9 अगस्त, 2025 को मनाया गया।
- विश्व संस्कृत दिवस 2024 19 अगस्त 2024 को मनाया गया और विश्व संस्कृत दिवस 2026 28 अगस्त 2026 को मनाया जाएगा।
- संस्कृत सप्ताह 2025 6 से 12 अगस्त 2025 तक मनाया जा रहा है।
परीक्षा संकेत:
- कार्यक्रम: विश्व संस्कृत दिवस 2025 (विश्व संस्कृत दिनम)
- कब? 9 अगस्त 2025 (श्रावण पूर्णिमा)
- उद्देश्य: दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक संस्कृत को बढ़ावा देना
- संस्कृत सप्ताह 2025: 6 से 12 अगस्त 2025
- पहला पालन: GOI द्वारा 1969 में शुरू किया गया।
- भारत में स्थिति: 2005 में एक शास्त्रीय भाषा के रूप में घोषित
अर्थ:
स्मरणोत्सव: यह दिन प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान और व्याकरणविद पाणिनी की जयंती का प्रतीक है।
- उन्होंने 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अष्टाध्यायी की रचना की , जिसने शास्त्रीय संस्कृत व्याकरण की नींव रखी।
सांस्कृतिक संघ: यह दिन रक्षा बंधन के साथ मेल खाता है, जो भाइयों और बहनों के बीच बंधन का प्रतीक है।
पृष्ठभूमि:
सरकार की पहल: वर्ष 1969 में भारत सरकार (GOI) के शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने निर्देश दिया कि पूरे भारत में केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर संस्कृत दिवस मनाया जाए।
पहला पालन: विश्व संस्कृत दिवस पहली बार 1969 में भारत सरकार द्वारा मनाया गया था।
2025 घटना:
राज्य की पहल: गुजरात राज्य संस्कृत बोर्ड ने ‘योजना पंचकम’ ढांचे के तहत तीन दिवसीय कार्यक्रम (6-8 अगस्त 2025) का आयोजन किया, जिसमें संस्कृत गौरव यात्रा, संस्कृत समभाषा दिवस और संस्कृत साहित्य दिवस शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: नेपाल में वाल्मीकि विद्यापीठ, नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय और संस्कृत को बढ़ावा देने वाले वैश्विक संगठनों द्वारा भी कार्यक्रम आयोजित किए गए।
संस्कृत भाषा के बारे में:
प्राचीन उत्पत्ति: संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है और इसे “सभी भाषाओं की माँ” के साथ-साथ “देवताओं की भाषा” माना जाता है।”
व्युत्पत्ति: ‘संस्कृत’ शब्द ‘साम’ (सम्यक – पूरी तरह से) और ‘कृत’ (किया) से आया है, जिसका अर्थ है “पूरी तरह से किया गया।
साहित्यिक काल – दो प्रमुख चरणों में विभाजित:
- वैदिक संस्कृत – सबसे पहला रूप, इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की इंडो-आर्यन शाखा का हिस्सा।
- शास्त्रीय संस्कृत – पुरानी इंडो-आर्यन बोलियों से बाद का विकास।
भारत में संस्कृत:
शास्त्रीय स्थिति: वर्ष 2005 में भारत सरकार ने संस्कृत को भारत की एक शास्त्रीय भाषा के रूप में घोषित किया और इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया, जिसमें 22 आधिकारिक मान्यता प्राप्त भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है।
सांस्कृतिक भूमिका: संस्कृत प्राचीन भारतीय शास्त्रों जैसे वेद, उपनिषद, रामायण और महाभारत का माध्यम है, जो दर्शन, साहित्य, विज्ञान और कलाओं को प्रभावित करता है।
राज्यों में राजभाषा की स्थिति:
उत्तराखंड: 2010 में, उत्तराखंड हिंदी के साथ संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया।
- उत्तराखंड सरकार ने निवासियों के बीच संस्कृत के दैनिक उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए ‘संस्कृत ग्राम’ के विकास की शुरुआत की।
हिमाचल प्रदेश: 2019 में, हिमाचल प्रदेश (HP) संस्कृत को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने वाला दूसरा भारतीय राज्य बन गया।