विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक है, “द ऐटलस ऑफ मोर्टैलिटी एंड इकोनॉमिक लॉसेज फ्रॉम वेदर, क्लाइमेट एंड वॉटर एक्सट्रीम्स (1970-2019)” जिसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन द्वारा संचालित बाढ़ और गर्मी जैसी आपदाओं की संख्या में पिछले 50 वर्षों में पाँच गुना वृद्धि हुई है।
मुख्य विशेषताएँ
- मौसम और जलवायु में बदलाव जैसी चरम घटनाओं का पैटर्न अधिक होगा।
- विश्व स्तर पर इन खतरों के कारण 11,000 से अधिक रिपोर्ट की गई आपदाएँ थीं, जिनमें दो मिलियन से अधिक मौतें और 3.64 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था।
- हाल ही में US गल्फ कोस्ट में ‘इदा’ नाम का तूफान आया, जिसे सबसे महंगी मौसम आपदा माना जाता है।
- WMO ने हर दिन औसतन 115 मौतों का अनुमान लगाया है। विकासशील देशों में 91% से अधिक मौतें हुईं।
मुख्य निष्कर्ष
i.ज्यादातर नुकसान सूखे के कारण हुआ। पिछले 50 वर्षों में लगभग 650,000 मौतें दर्ज की गई हैं, जबकि तूफान और बाढ़ के कारण क्रमशः 577,000 और 58,700 मौतें हुई हैं।
ii.रिपोर्ट में पाया गया है कि आपदाओं और चरम जलवायु घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है लेकिन मौतों की संख्या में कमी लगभग 3 गुना दर्ज की गई है।
iii.पूर्व चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन में सुधार के कारण मृत्यु की संख्या 1970 में 50,000 से घटकर 2010 में 20,000 हो गई है।
iv.2010-2019 से रिपोर्ट किया गया नुकसान (एक दशक में औसतन प्रति दिन 383 मिलियन अमेरिकी डॉलर) 1970-1979 (49 मिलियन अमेरिकी डॉलर) से रिपोर्ट की गई राशि का सात गुना था।
v.संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी की रिपोर्ट में पाया गया कि तीन तूफान – हार्वे, मारिया और इरमा – जो अकेले 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आए, उसने 1970 से 2019 तक मौसम की आपदाओं के कारण हुए आर्थिक नुकसान का 35% हिस्सा रखा है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के बारे में:
महासचिव- पेटेरी तालास
मुख्यालय- जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
सदस्य- 193 सदस्य