सियाचिन वारियर्स ने 13 अप्रैल 2021 को भारतीय सेना के उन सैनिकों को सम्मानित करने के लिए 37वें सियाचिन दिवस मनाया है, जो केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उत्तरी सीमा के हिस्से सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करते हैं।
पृष्ठभूमि:
i.13 अप्रैल 1984 को, भारतीय सेना की टुकड़ियों ने बिलाफोंड में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फहराया और ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया।
ii.भारत ने सियाचिन ग्लेशियर और साल्टोरो रिज को कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार के नक्शे का उपयोग करके सुरक्षित किया।
iii.1984 से 13 अप्रैल को सियाचिन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ऑपरेशन मेघदूत:
ऑपरेशन मेघदूत भारतीय सेना और उत्तरी लद्दाख के अर्धसैनिक बलों के समर्थन में सियाचिन ग्लेशियर में नियंत्रण को सुरक्षित करने के लिए किया गया था, जिसे दुनिया की तीसरी ध्रुव और उत्तरी सीमाओं के विवाद पर संभावित फ्लैश पॉइंट के रूप में जाना जाता है।
सियाचिन ग्लेशियर:
i.सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊँचा, सबसे घातक और महंगा युद्धक्षेत्र है।
ii.यह ग्लेशियर 76 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
iii.क्लेमैटिक परिस्थितियों के कारण 1984 के बाद से 850 से अधिक भारतीय सैनिकों ने सियाचिन में अपना जीवन खो दिया है।