मुस्लिम महिला अधिकार दिवस जिसे ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है, मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अधिनियमन के उपलक्ष्य में 1 अगस्त को पूरे भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाता है, जो भारत में तत्काल ट्रिपल तालक की प्रथा का अपराधीकरण करता है।
- 1 अगस्त, 2025 को मुस्लिम महिला अधिकार दिवस की छठी वर्षगांठ है।
परीक्षा संकेत:
- क्या? मुस्लिम महिला अधिकार दिवस
- कब? अगस्त 1 (वार्षिक)
- क्यों: यह मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अधिनियमन की याद दिलाता है
- पहला पालन: 1 अगस्त, 2020
- उद्देश्य: लैंगिक समानता, लैंगिक न्याय और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना
- कारावास: 3 साल तक
तीन तलाक:
तत्काल तलाक: ट्रिपल तलाक तत्काल और एकतरफा तलाक को संदर्भित करता है, जिसके माध्यम से एक मुस्लिम व्यक्ति कानूनी रूप से अपनी पत्नी को तीन बार “तलाक” शब्द का उच्चारण करके तलाक दे सकता है।
मुस्लिम कानून: मुस्लिम कानून के तहत तीन तलाक का मतलब शादी के रिश्ते से आजादी है। कानून को पत्नी की सहमति की आवश्यकता नहीं थी और न्यायपालिका की भागीदारी की आवश्यकता नहीं थी।
- तीन तलाक को तलाक-ए-बिद्दत के नाम से भी जाना जाता है।
पृष्ठभूमि:
कानून अधिनियमन: भारत की संसद ने 1 अगस्त, 2019 को मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 अधिनियमित किया, जिसने तत्काल ट्रिपल तालक की प्रथा को एक आपराधिक अपराध बना दिया है।
घोषणा: 2020 में, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (MoMA) ने घोषणा की कि 1 अगस्त को पूरे भारत में मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाएगा।
पालन: मुस्लिम महिला अधिकार दिवस का पहला पालन 1 अगस्त, 2020 को हुआ, जो कानून के अधिनियमन की पहली वर्षगांठ को चिह्नित करता है।
अर्थ:
सशक्तिकरण: यह कानून मुस्लिम महिलाओं को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार हासिल करके, एकतरफा तलाक को रोककर और उन्हें बच्चों के रखरखाव और संरक्षण का कानूनी अधिकार देकर सशक्त बनाता है।
लैंगिक समानता: एक मुस्लिम पुरुष द्वारा एकतरफा तलाक ने मुस्लिम महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा और आश्रय के बिना छोड़ दिया। कानून यह सुनिश्चित करता है कि तलाक को एक कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, जिसमें विवाह के विघटन के लिए महिलाओं की सहमति भी शामिल है।
तीन तलाक का अपराधीकरण:
याचिका: 2016 में उत्तराखंड की एक मुस्लिम महिला शायरा बानो ने ट्रिपल तालक की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (SC) में याचिका दायर की।
फैसला: वर्ष 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि तीन तलाक असंवैधानिक और शून्य है। यह निर्णय भारत में मुस्लिम महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत थी, उनके अधिकारों की रक्षा करना और भारत में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
कारावास: मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अधिनियमन के बाद, भारत के पूर्व राष्ट्रपति, राम नाथ कोविंद ने 1 अगस्त, 2019 को विधेयक को अपनी सहमति दे दी और 3 साल तक की जेल और जुर्माने के साथ तत्काल ट्रिपल तालक को अपराध घोषित कर दिया।
अन्य देशों में ट्रिपल तालक:
मुस्लिम देश: मिस्र 1929 में ट्रिपल तालक को खत्म करने वाला पहला मुस्लिम देश था। फिर सूडान (1929), सीरिया (1953), पाकिस्तान (1956), इराक (1959), मलेशिया (1969), बांग्लादेश (1972) ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया।
अन्य देश: साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, ईरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर और संयुक्त राज्य अमेरिका (UAE) जैसे देशों ने भी ट्रिपल तालक को समाप्त कर दिया है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (MoMA) के बारे में:
केंद्रीय मंत्री – किरेन रिजिजू (निर्वाचन क्षेत्र – अरुणाचल पश्चिम, अरुणाचल प्रदेश, AR)
राज्य मंत्री (MoS) – जॉर्ज कुरियन (राज्यसभा – मध्य प्रदेश, MP)