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मुस्लिम महिला अधिकार दिवस 2024 – 1 अगस्त

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Muslim Women Rights Day - August 1 2024

मुस्लिम विमेंस राइट्स डे जिसे ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है, 1 अगस्त को पूरे भारत में मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अधिनियमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो भारत में तीन तलाक की प्रथा को प्रतिबंधित करता है।

  • यह दिन मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण पर प्रकाश डालता है और उनकी वकालत करता है।

तीन तलाक:

i.तलाक विवाह-विच्छेद के लिए एक इस्लामी शब्द है, जो विवाह के विघटन को दर्शाता है जिसमें एक मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी के साथ सभी वैवाहिक संबंधों को समाप्त कर सकता है।

ii.मुस्लिम कानून के तहत, तीन तलाक का मतलब विवाह के रिश्ते से तुरंत मुक्ति है, जहां पुरुष केवल तीन बार ‘तलाक’ शब्द बोलकर अपनी शादी को समाप्त कर देता है।

iii.इस तत्काल तलाक को तीन तलाक कहा जाता है, जिसे तलाक-ए-बिद्दतभी कहा जाता है।

पृष्ठभूमि:

i.केंद्र सरकार ने 1 अगस्त, 2019 को मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 लागू किया, जिसने तत्काल तीन तलाक की प्रथा को एक आपराधिक अपराध बना दिया है।

ii.2020 में, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (MoMA) ने घोषणा की कि 1 अगस्त को पूरे भारत में मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाएगा।

  • पहली बार मुस्लिम महिला अधिकार दिवस 1 अगस्त 2020 को मनाया गया।

महत्व:

i.यह दिन लैंगिक असमानता, भेदभाव, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच और मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे मुद्दों को संबोधित करता है।

ii.यह दुनिया भर में मुस्लिम महिलाओं के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों और जीत पर प्रकाश डालता है।

iii.यह सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आर्थिक अवसरों और राजनीतिक भागीदारी तक पहुँच सुनिश्चित करने के महत्व पर भी प्रकाश डालता है।

ट्रिपल तलाक को अपराध बनाना:

i.2016 में, उत्तराखंड की एक मुस्लिम महिला शायरा बानो ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) में ट्रिपल तलाक की संवैधानिकता को चुनौती दी। यह तर्क दिया गया कि ट्रिपल तलाक लैंगिक भेदभाव का एक रूप है और यह भारत के संविधान के मौलिक अधिकारों (FR) – अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का भी उल्लंघन करता है।

ii.SC ने 2017 में फैसला दिया कि ट्रिपल तलाक असंवैधानिक और शून्य है।

  • SC का फैसला भारत में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए एक बड़ी जीत थी और इसने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और भारत में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में मदद की है।

iii.जुलाई 2019 में, भारतीय संसद ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम पारित किया, जिसने तीन तलाक की प्रथा को अपराध बना दिया।

iv.भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1 अगस्त 2019 को विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी और तत्काल मौखिक तीन तलाक को अपराध घोषित कर दिया, जिसके लिए 3 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

अन्य देशों में तीन तलाक:

मिस्र 1929 में तीन तलाक को खत्म करने वाला पहला मुस्लिम देश था। उसके बाद सूडान (1929), पाकिस्तान (1956), बांग्लादेश (1972), इराक (1959), सीरिया (1953), मलेशिया (1969) ने इस प्रथा को खत्म कर दिया।

  • साइरस, जॉर्डन, अल्जीरिया, ईरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भी तीन तलाक को खत्म कर दिया है।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (MoMA) के बारे में:

केंद्रीय मंत्री – किरेन रिजिजू (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र – अरुणाचल प्रदेश (AR) पश्चिम)
राज्य मंत्री (MoS) – जॉर्ज कुरियन