प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), जिसे 2016 में प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था, 18 फरवरी, 2025 को अपनी नौवीं वर्षगांठ मनाएगी। PMFBY भारत में एक प्रमुख फसल बीमा योजना है, जिसे प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह योजना भारत की कृषि लचीलापन की आधारशिला के रूप में उभरी है, जिसने पिछले नौ वर्षों में 23.22 करोड़ से अधिक किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले फसल नुकसान से बचाया है और 1.75 लाख करोड़ रुपये के दावों का वितरण किया है।
- 2025-26 तक अपने हालिया विस्तार और 69,515.71 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के साथ, PMFBY किसान कल्याण और टिकाऊ कृषि को मजबूत करना जारी रखती है।
उद्देश्य:
- सूखा, बाढ़, चक्रवात, कीट और बेमौसम बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले वित्तीय जोखिमों को कम करना।
- समय पर मुआवज़ा देकर, कर्ज के जाल से बचकर किसानों की आय को स्थिर करना।
- प्रौद्योगिकी अपनाने और आधुनिक कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना।
मुख्य विशेषताएँ:
- किफ़ायती प्रीमियम: किसान केवल 2% (खरीफ़ फ़सल), 1.5% (रबी फ़सल) या 5% (बागवानी/वाणिज्यिक फ़सल) का भुगतान करते हैं, शेष राशि सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है।
- व्यापक कवरेज: इसमें उपज की हानि, रोकी गई बुवाई (बीमित राशि का 25% तक), कटाई के बाद की हानि (कटाई के 14 दिन बाद) और स्थानीय आपदाएँ शामिल हैं।
- स्वैच्छिक भागीदारी: गैर-ऋणी किसान
भारत सरकार (GoI) पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू & कश्मीर (J&K) और हिमाचल प्रदेश (HP) के किसानों के लिए संपूर्ण प्रीमियम का भुगतान करती है।
PMFBY के तहत फसल बीमा के लिए प्रीमियम दर:
फसल का प्रकार | प्रीमियम दर (किसान का हिस्सा) |
---|---|
खरीफ फसलें | बीमित राशि का 2% |
रबी फसलें | बीमित राशि का 1.5% |
बागवानी/वाणिज्यिक फसलें | बीमित राशि का 5% |
कार्यान्वयन एजेंसियाँ:
PMFBY को एक बहु-एजेंसी ढांचे के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है जिसमें शामिल हैं:
बीमा कंपनियाँ: कवरेज प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा चुनी गई।
- सरकारी विभाग: कृषि, सहकारिता, बागवानी, राजस्व और पंचायती राज।
- वित्तीय संस्थान: वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक।
- नियामक निकाय: कार्यान्वयन की देखरेख और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
तकनीकी नवाचार:
PMFBY की सफलता इसकी प्रौद्योगिकी-संचालित रूपरेखा पर निर्भर करती है, जो पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करती है:
- रिमोट सेंसिंग & ड्रोन: फसल क्षेत्र के आकलन, उपज मूल्यांकन और हानि मूल्यांकन के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे मानवीय त्रुटि कम होती है।
- YES-TECH (तकनीक पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली): खरीफ 2023 में शुरू की गई, यह उपग्रह-आधारित उपज अनुमानों को मैनुअल डेटा के साथ मिलाती है, धीरे-धीरे पारंपरिक फसल कटाई प्रयोगों (CCE) को समाप्त करती है। मध्य प्रदेश (MP) जैसे राज्यों ने 100% तकनीक-आधारित आकलन को अपनाया है।
- CCE-एग्री एप्लीकेशन: वास्तविक समय की निगरानी के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) पर फसल डेटा का सीधा अपलोड है।।
- मौसम सूचना और नेटवर्क डेटा सिस्टम (CCE) पहल: 824.77 करोड़ रुपये का नवाचार और प्रौद्योगिकी के लिए फंड (FIAT) स्वचालित मौसम स्टेशनों (AWS) और स्वचालित वर्षा गेज (ARG) के माध्यम से हाइपरलोकल मौसम डेटा का समर्थन करता है, जिससे दावे की सटीकता बढ़ जाती है।
प्रभाव और उपलब्धियां
- वित्तीय सुरक्षा: 2016 से दावों में 1.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया, 2023-24 में 25% नामांकन वृद्धि के साथ है।
- वैश्विक मान्यता: PMFBY किसान भागीदारी के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है।
- 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश (UT) इस योजना को लागू कर रहे हैं। गैर-ऋणी किसानों का कवरेज कुल कवरेज का 55% हो गया है।
- किसान नामांकन संख्या में 25% की वृद्धि (2023-24 बनाम 2022-23) हुई। बीमा राशि 17,29,395 करोड़ रुपये है।
- क्षेत्रीय फोकस: कवरेज को बढ़ावा देने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों को 90% प्रीमियम सब्सिडी मिलती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के बारे में:
मंत्रालय – कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW)
प्रशासित – कृषि, सहकारिता & किसान कल्याण विभाग (DAC&FW), MoA&FW
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) – मुक्तानंद अग्रवाल