शोधकर्ताओं के अलग-अलग समूहों द्वारा की गई दो अलग-अलग खोजों ने पश्चिमी घाट क्षेत्र से घोंघे की 2-स्थानिक प्रजातियों की पहचान की है।
- निशाचर अर्ध स्लग की एक प्रजाति जिसे “वरदिया एंबोलेंसिस” कहा जाता है, विज्ञान की दुनिया के लिए नई है।
- “सह्याद्रि का घोंघा” जिसकी तुलना उसके अद्वितीय मांसाहारी गुणों के कारण बाघ से की जाती है, पहली बार महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट क्षेत्र में खोजा गया था।
वरदिया एंबोलेंसिस:
i.इस प्रजाति में जलवायु के मामूली उतार–चढ़ाव का पता लगाने की क्षमता है और एक अद्वितीय आनुवंशिक शरीर रचना है।
ii.इसका नाम प्रसिद्ध महाराष्ट्र-आधारित टैक्सोनोमिस्ट वरद गिरी के नाम पर रखा गया है।
iii.शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर के प्राणी विज्ञानी अमृत R. भोसले इस शोध के प्राथमिक लेखक हैं, जो ‘यूरोपियन जर्नल ऑफ टैक्सोनॉमी’ में प्रकाशित हुआ था।
पेरोटेशिया राजेशगोपाली:
i.इसका नाम भारतीय बाघ संरक्षणवादी ‘राजेश गोपाल‘ के नाम पर रखा गया है, जो ग्लोबल टाइगर फोरम के वर्तमान महासचिव हैं।
ii.वैज्ञानिक विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण का आह्वान कर रहे हैं जो पश्चिमी घाट क्षेत्र के लिए स्थानिक हैं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण उनके विलुप्त होने का खतरा है।
हाल के संबंधित समाचार:
“IUCN वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक 3″ ने भारत के पश्चिमी घाट को महत्वपूर्ण चिंता के तहत नामित किया है, क्योंकि इसे जनसंख्या दबाव, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से खतरा है।
पश्चिमी घाट के बारे में:
i.पश्चिमी घाटों को महाराष्ट्र में ‘सह्याद्री‘ के नाम से भी जाना जाता है।
ii.पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट नीलगिरि पहाड़ियों पर मिलते हैं।
iii.अनीमुडी पश्चिमी घाट और दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी है।