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वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस 2021 – 21 अक्टूबर

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Global Iodine Deficiency Disordersवैश्विक आयोडीन न्यूनता विकार (IDD) निवारण दिवस जिसे विश्व आयोडीन की कमी दिवस के रूप में भी जाना जाता है, सामान्य थायराइड कार्यों, वृद्धि और विकास के लिए आयोडीन के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 21 अक्टूबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

आयोडीन का महत्व:

i.आयोडीन एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आवश्यक है।

ii.आयोडीन को आहार में शामिल करना महत्वपूर्ण है क्योंकि शरीर अपने आप आयोडीन नहीं बना सकता है।

iii.इसलिए आयोडीन की कमी से थायरॉइड का बढ़ना, हाइपोथायरायडिज्म और उन शिशुओं और बच्चों में बौद्धिक अक्षमता हो सकती है जिनकी माताओं में गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की कमी थी।

iv.IDD के गंभीर रूप जड़वामनता (क्रेटिनिज्म), मृत जन्म और गर्भपात का कारण बन सकते हैं।

IDD को रोकने के लिए भारत के प्रयास:

i.आयोडाइज्ड नमक भारत में 1950 के दशक के अंत में पेश किया गया था और आयोडीन युक्त नमक के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी कार्यक्रम और पहल की गई थी।

ii.खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 के अंतर्गत, भारत सरकार ने मई 2006 से भारत में सीधे मानव उपभोग के लिए गैर-आयोडीनयुक्त नमक की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।

NIDDCP:

1962 में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय घेंघा नियंत्रण कार्यक्रम (NGCP) शुरू किया, जिसका नाम बदलकर 1992 में राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (NIDDCP) कर दिया गया।

NIDDCP का लक्ष्य:

  • देश में IDD के प्रसार को 5% से कम करना।
  • घरेलू स्तर पर पर्याप्त रूप से आयोडीन युक्त नमक (15 ppm) की शत-प्रतिशत खपत सुनिश्चित करना।

प्रमुख बिंदु:

i.वैश्विक आबादी के लगभग 90% लोग आयोडीन युक्त नमक का सेवन कर रहे हैं, भले ही हाल के आंकड़ों वाले केवल 23 देशों में 90% या उससे अधिक का कवरेज था।

ii.विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों के अनुसार, IDD को रोकने के लिए प्रतिदिन लगभग 150 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन आवश्यक है।