अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने और आम जनता के बीच अंग दान को प्रोत्साहित करने के लिए 13 अगस्त को दुनिया भर में प्रतिवर्ष विश्व अंग दान दिवस मनाया जाता है।
अंग दान एक व्यक्ति (दाता) से किसी अंग या ऊतक को शल्य चिकित्सा द्वारा निकालने और किसी अन्य व्यक्ति (प्राप्तकर्ता) में स्थापित करने की एक प्रक्रिया है।
ध्यान दें:
भारत 27 नवंबर को वार्षिक राष्ट्रीय अंग दान दिवस मनाता है।
राष्ट्रीय अंग दान दिवस का आयोजन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO – National Organ & Tissue Transplantation Organisation) द्वारा किया जाता है।
प्रत्यारोपण का इतिहास:
i.दुनिया का पहला अंग प्रत्यारोपण (गुर्दा प्रत्यारोपण) ऑपरेशन 23 दिसंबर 1954 को किया गया था। यह प्रत्यारोपण समान जुड़वां रोनाल्ड ली हेरिक (दाता) और रिचर्ड ली हेरिक (प्राप्तकर्ता) पर किया गया था।
ii.किडनी प्रतिरोपित किया जाने वाला पहला अंग था।
iii.ऑपरेशन के प्रमुख सर्जन डॉ जोसेफ मुरे ने 1990 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार जीता था।
iv.उन्होंने डॉ E. डोनल थॉमस के साथ यह पुरस्कार साझा किया, जिन्होंने अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण में अपने काम के लिए पुरस्कार जीता था।
भारत में अंगदान:
i.भारत में, मानव अंगों और ऊतकों का प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 एक जीवित दाता या मृत व्यक्ति के 11 मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण और दान को परिभाषित और नियंत्रित करता है।
ii.विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में केवल 0.01% लोग ही मृत्यु के बाद अपने अंग दान करते हैं।