29 जून 2021 को, भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) का प्रकाशन, ‘क्वार्टरली बेसिक स्टैटिस्टिकल रिटर्न्स (BSR)-1: आउटस्टैंडिंग क्रेडिट ऑफ़ स्केंडुलेड कमर्शियल बैंक्स (SCBs), मार्च 2021’ ने COVID-19 के कारण FY21 में ‘औद्योगिक क्षेत्र में ऋणात्मक ऋण (ऋण) वृद्धि‘ की सूचना दी।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
i.इसने व्यक्तिगत ऋणों में निरंतर वृद्धि दर्ज की, जिसमें मार्च 2021 में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि (Y-o-Y) दर्ज की गई।
ii.RBI ने FY21 में कैश क्रेडिट, ओवरड्राफ्ट और डिमांड लोन के रूप में कार्यशील पूंजी ऋण के संकुचन की सूचना दी। कार्यशील पूंजी ऋण कुल ऋण का एक तिहाई था।
iii.घरेलू क्षेत्र का ऋण 10.9 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़ा और कुल ऋण में इसका हिस्सा मार्च 2021 में बढ़कर 52.6 प्रतिशत हो गया, जो मार्च 2020 में 49.8 प्रतिशत था।
iv.निजी कारपोरेट क्षेत्र के ऋण में लगातार छठी तिमाही में गिरावट आई और कुल क्रेडिट में इसकी हिस्सेदारी 28.3 प्रतिशत रही।
v.निजी क्षेत्र के बैंक:
- अन्य बैंक समूहों की तुलना में, निजी क्षेत्र के बैंकों ने उच्च ऋण वृद्धि दर्ज की।
- मार्च 2021 में कुल ऋण में उनकी हिस्सेदारी बढ़कर5 प्रतिशत हो गई।
vi.बैंक शाखाओं के आधार पर ऋण वृद्धि:
- महानगरीय क्षेत्रों में बैंक शाखाओं ने ऋण में4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो बैंक क्रेडिट का 63 प्रतिशत है।
- शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की बैंक शाखाओं ने मार्च 2021 में दोहरे अंकों की ऋण वृद्धि (Y-o-Y) दर्ज की।
vii.वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही में बकाया क्रेडिट पर WALR में 21 आधार अंकों की गिरावट आई थी और वित्त वर्ष 21 में इसमें 91 आधार अंकों की कमी आई है।
हाल के संबंधित समाचार:
16 फरवरी 2021 को, RBI ने खंड 45U के साथ पढ़ा गया भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45W के तहत प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव्स) दिशा–निर्देश, 2021 का प्रारूप जारी किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की प्रमुख भूमिकाएँ:
i.मौद्रिक नीति निर्धारण – यह चुनौतियों का सामना करने और अर्थव्यवस्था की कीमत स्थिरता बनाए रखने के लिए देश की मौद्रिक नीति तैयार करता है।
ii.मुद्रास्फीति पर नियंत्रण – RBI ने मध्यावधि मुद्रास्फीति को 4% (+/- 2%) रखने का लक्ष्य रखा है।
iii.ब्याज दर तय करना– RBI गवर्नर की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति बेंचमार्क रेपो दर तय करती है।
iv.विदेशी मुद्रा को नियंत्रित करना – फॉरेन एक्सचेंज (फोरेक्स) मैनेजमेंट एक्ट (‘FEMA’) में RBI को विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना की गई है।