स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती मनाने के लिए 11 नवंबर को पूरे भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
- यह दिन शिक्षा के प्रति मौलाना अबुल कलाम आजाद के योगदान को याद करता है।
- इस दिन का उद्देश्य शिक्षा के महत्व को भी उजागर करना है।
11 नवंबर 2022 को भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आजाद की 134वीं जयंती है, उनका जन्म 11 नवंबर 1888 को सऊदी अरब के मक्का में हुआ था।
पृष्ठभूमि:
i.मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में घोषित किया।
ii.पहला राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 11 नवंबर 2008 को मनाया गया था।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व:
भारत सरकार छात्रों और युवाओं के समग्र विकास के लिए एक मजबूत और प्रभावी शिक्षा बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करके राष्ट्र के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में:
i.मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 1888 में मक्का में हुआ था और 1890 में कलकत्ता (अब कोलकाता, पश्चिम बंगाल), भारत में बस गए थे।
ii.1920 में, उन्हें अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना के लिए फाउंडेशन कमेटी के सदस्य के रूप में चुना गया। उन्होंने 1934 में परिसर को अलीगढ़ से नई दिल्ली स्थानांतरित करने में भी सहायता की।
- विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर के मुख्य द्वार (गेट नंबर 7) का नाम मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम पर रखा गया है।
iii.मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कैबिनेट में पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।
iv.उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) और भारत में कई प्रमुख संस्थानों जैसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और माध्यमिक शिक्षा आयोग की स्थापना में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
v.वे भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR), साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की स्थापना के लिए भी जिम्मेदार थे।
vi.2 फरवरी 1958 को स्ट्रोक से उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें मरणोपरांत 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।