भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक INS राजपूत को 41 साल की सेवा (4 मई, 1980 को कमीशन) के बाद नेवल डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में सेवामुक्त कर दिया गया। यह भारतीय सेना रेजिमेंट – ‘राजपूत रेजिमेंट‘ से जुड़ा पहला भारतीय नौसेना जहाज था, और 2005 में एंटी-शिप सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस‘ से लैस होने वाला पहला जहाज था।
- यह विध्वंसक सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) द्वारा उसके रूसी नाम ‘नादेज़नी’ जिसका अर्थ है ‘उम्मीद’ के तहत निकोलेव, वर्तमान यूक्रेन में 61 कम्युनार्ड्स शिपयार्ड में बनाया गया था।
- इसे USSR में तत्कालीन भारतीय राजदूत I K गुजराल द्वारा पोटी, जॉर्जिया (भूतपूर्व USSR) में कमीशन किया गया था; कैप्टन गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी INS राजपूत के पहले कमांडिंग ऑफिसर थे।
- ‘राज करेगा राजपूत’ के आदर्श वाक्य के साथ यह काशीन श्रेणी के विध्वंसक का प्रमुख जहाज था।
- वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी नौसेना कमान, जो इस अवसर के मुख्य अतिथि थे, उनकी उपस्थिति में इसे सेवामुक्त किया गया।
प्रमुख बिंदु
i.वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने भारतीय नौसेना को INS राजपूत की सेवा के सम्मान में एक विशेष पोस्टल कवर जारी किया।
ii.INS राजपूत ने भारतीय नौसेना के पश्चिमी (1988 तक मुंबई में स्थित) और पूर्वी बेड़े (विशाखापत्तनम) दोनों की सेवा की है।
iii.इसने विभिन्न नौसैनिक अभियानों में भाग लिया है जैसे
- ऑपरेशन पवन – LTTE से श्रीलंका में जाफना पर पुनः नियंत्रण पाने के लिए।
- ऑपरेशन अमन – भारतीय शांति रक्षा बलों (IPKF) की सहायता के लिए श्रीलंका के तट पर आयोजित।
- ऑपरेशन कैक्टस – मालदीव की बंधक स्थिति के समाधान के लिए
- ऑपरेशन क्रॉसनेस्ट – लक्षद्वीप में।
iv.इसकी सेवामुक्त होने तक इसका नेतृत्व 31 कमांडिंग ऑफिसर करते रहे हैं और इसने 7,87,194 समुद्री मील से अधिक की दूरी तय की है।
हाल के संबंधित समाचार:
16 मार्च, 2021 को भारतीय सेना ने अपने सबसे लंबे समय तक सेवारत में से 2 आर्टिलरी – 130mm सेल्फ प्रोपेल्ड M-46 कैटापल्ट गन्स और 160 mm टैम्पेला मोर्टार्स को महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में अपने अंतिम साल्वो की एक प्रथागत फायरिंग करने के बाद सेवामुक्त कर दिया।
भारतीय नौसेना के बारे में:
नौसेनाध्यक्ष (CNS) – एडमिरल करमबीर सिंह
रक्षा मंत्रालय (नौसेना) का एकीकृत मुख्यालय – नई दिल्ली