श्रमिकों की उपलब्धियों को पहचानने और श्रमिकों के शोषण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 1 मई को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस या मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
यह दिन भारत, क्यूबा और चीन जैसे कई देशों में मनाया जाता है।
पहली बार 1 मई 1890 को यह दिवस मनाया गया था।
पृष्ठभूमि:
i.1889 से पहले, श्रमिकों को एक दिन में 15 घंटे से अधिक काम करने के लिए दिया जाता था।
ii.मार्क्सवादी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने 14 जुलाई 1889 को एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए यह संकल्प अपनाया कि श्रमिकों को प्रतिदिन 8 घंटे से अधिक काम करने के लिए नहीं बनाया जाना चाहिए।
iii.यह अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन 1890 में एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया और हर साल के 1 मई को यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है।
1 मई क्यों?
i.1 मई को शिकागो में 1886 के हेमार्केट दंगे के स्मरण के लिए चुना गया था।
ii.1884 में अमेरिकन फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनाइज्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियंस ने 1 मई 1886 से प्रभावी 8 घंटे प्रतिदिन के कार्य को अपनाने की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप शिकागो में हेमार्केट दंगा हुआ।
भारत में श्रम दिवस:
i.भारत में पहला श्रम दिवस 1 मई 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिंदुस्तान द्वारा चेन्नई में मनाया गया था।
ii.इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस (अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस) या “कामगार दिन” के रूप में भी चिह्नित किया जाता है।