संयुक्त राष्ट्र (UN) का अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (IDEP) प्रतिवर्ष 17 अक्टूबर को दुनिया भर में गरीबी में रहने वाले लोगों और व्यापक समाज के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
- इस दिन का उद्देश्य न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों और सतत विकास लक्ष्य (SDG) 16 के मूल तत्वों को बढ़ावा देना है।
- 17 अक्टूबर 2024 को IDEP का 32वां स्मरणोत्सव मनाया जाएगा।
SDG 16: सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देना, सभी के लिए न्याय तक पहुँच प्रदान करना और सभी स्तरों पर प्रभावी, जवाबदेह और समावेशी संस्थानों का निर्माण करना
विषय:
IDEP 2024 का विषय “एंडिंग सोशल एंड इंस्टीटूशनल मालट्रीटमेंट एक्टिंग टुगेदर फॉर जस्ट, पीसफुल एंड इंक्लूसिव सोसाइटीज” है।
- यह विषय गरीबी के एक छिपे हुए आयाम – गरीबी में रहने वाले लोगों द्वारा अनुभव किए जाने वाले सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार – पर प्रकाश डालता है।
उत्पत्ति:
i.17 अक्टूबर 1987 को, भूख, हिंसा और अज्ञानता के शिकार लोगों को सम्मानित करने के लिए पेरिस, फ्रांस के ट्रोकाडेरो प्लाजा में एक विशाल सभा आयोजित की गई थी।
ii.सभा ने गरीबी को मानवाधिकारों का उल्लंघन घोषित किया।
iii.तब से, हर साल 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पृष्ठभूमि:
i.22 दिसंबर 1992 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने संकल्प A/RES/47/196 को अपनाया और हर साल 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के रूप में घोषित किया।
ii.पहली बार UN द्वारा मान्यता प्राप्त IDEP 17 अक्टूबर 1993 को मनाया गया था।
गरीबी:
i.संशोधित 2017 क्रय शक्ति समता (PPP) ने अत्यधिक गरीबी को प्रति व्यक्ति प्रति दिन 2.15 अमेरिकी डॉलर से कम पर जीवित रहने के रूप में परिभाषित किया।
- 15 अमेरिकी डॉलर की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा में 1% से भी कम की वृद्धि हुई है, और निम्न और उच्च मध्यम आय वाले देशों में गरीबी का आकलन करने के लिए अधिक प्रासंगिक 3.65 और 6.85 अमेरिकी डॉलर की उच्च गरीबी रेखा में भी 2% से भी कम की वृद्धि हुई है।
ii.2030 तक लगभग 575 मिलियन लोगों (वैश्विक आबादी का लगभग 7%) के अत्यधिक गरीबी में फंसने की उम्मीद है।
ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (MPI) 2024: पावर्टी अमीद कनफ्लिक्ट
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (UNDP) द्वारा प्रकाशित “ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (MPI) 2024: पावर्टी अमीद कनफ्लिक्ट” में कहा गया है कि लगभग 455 मिलियन बहुआयामी गरीब लोग संघर्ष, नाजुकता या ‘कम शांति’ का अनुभव करने वाले देशों में रह रहे हैं।
- भारत गरीबी में सबसे बड़ी आबादी वाले शीर्ष 5 देशों में से एक है। भारत में 234 मिलियन लोग गरीबी में जी रहे हैं, जो ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (HDI) में मध्यम है।
- शीर्ष 5 में शामिल अन्य देश पाकिस्तान (93 मिलियन), इथियोपिया (86 मिलियन), नाइजीरिया (74 मिलियन) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (66 मिलियन) हैं।
ध्यान देने योग्य बिंदु:
i.2024 की रिपोर्ट 112 देशों (6.3 बिलियन लोग) से MPI डेटा प्रस्तुत करती है, जो 1,359 उप-राष्ट्रीय क्षेत्रों को कवर करती है।
ii.6.3 बिलियन लोगों में से लगभग 1.1 बिलियन लोग तीव्र बहुआयामी गरीबी में रहते हैं और उनमें से आधे से अधिक (584 मिलियन) 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं।
iii.लगभग 40% गरीब लोग (455 मिलियन) युद्ध, नाजुकता और/या कम शांति वाले देशों में रहते हैं।
iv.वैश्विक स्तरों और रुझानों का एक तुलनीय सूचकांक बनाने के लिए MPI को 10 साल की अवधि (2012-2023) में मापा जाता है।
UN महिला: वर्ल्ड सर्वे ऑन द रोल ऑफ वीमेन इन डेवलपमेंट 2024
UN महिला (लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र इकाई) द्वारा प्रकाशित “वर्ल्ड सर्वे ऑन द रोल ऑफ वीमेन इन डेवलपमेंट 2024: हरनेसिंग सोशल प्रोटेक्शन फॉर जेंडर
एक्वालिटी, रेसिलिएंस एंड ट्रांसफॉर्मेशन” शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 2 बिलियन महिलाएँ और लड़कियाँ किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच के बिना हैं।
ध्यान देने योग्य बिंदु:
i.दुनिया भर में 63% से अधिक महिलाएँ अभी भी मातृत्व लाभ तक पहुँच के बिना जन्म देती हैं, जो उप-सहारा अफ्रीका में 94% तक बढ़ जाती है।
ii.171 देशों में सरकारों द्वारा शुरू किए गए 1,000 सामाजिक सुरक्षा उपायों में से केवल 18% महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा पर केंद्रित हैं।