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राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 – 13 फरवरी

राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 13 फरवरी को पूरे भारत में सरोजिनी नायडू की जयंती मनाने के लिए मनाया जाता है, जिन्हें प्यार से “नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया” कहा जाता था।

  • भारतीय महिलाकेंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली में AMRITPEX 2023 का उद्घाटन किया

13 फरवरी 2023 को सरोजिनी नायडू की 144वीं जयंती है।

नोट: संयुक्त राष्ट्र (UN) का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है।

सरोजिनी नायडू के बारे में:

i.सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद, तेलंगाना में हुआ था।

ii.वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता, नारीवादी, कवि, स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

iii.उन्हें 1947 में उत्तर प्रदेश के पहले राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था, जिस वर्ष भारत को स्वतंत्रता मिली थी। वह 1949 में अपनी मृत्यु तक अपने पद पर बनी रहीं।

iv.उन्होंने इंग्लैंड में एक नारी-मताधिकारवादी के रूप में काम किया और ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आंदोलन के लिए तैयार हुईं।

  • नारी-मताधिकारवादी- एक व्यक्ति जो महिलाओं को वोट देने के अधिकार के पक्ष में है, खासकर उन समाजों में जहाँ महिलाओं को वोट देने की अनुमति नहीं है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:

i.सरोजिनी नायडू अंग्रेजों से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में भाग लेने वाली अग्रणी महिलाओं में से एक थीं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण की वकालत की।

ii.1915 से 1918 तक, उन्होंने भारत में राष्ट्रवाद, महिलाओं की स्वतंत्रता, श्रम सम्मान और युवाओं के कल्याण पर व्याख्यान दिया और 1917 में महात्मा गांधी के सत्याग्रह और अहिंसक आंदोलन में शामिल हुईं।

iii.उन्होंने 1917 में महिला मताधिकार की वकालत करने के लिए महिला भारतीय संघ (WIA) बनाने में मदद की।

सरोजिनी नायडू के कार्य:

i.सरोजिनी नायडू एक विपुल लेखिका थीं। उनका लेखन भारतीयों के जीवन और उस समय भारत में ऐतिहासिक घटनाओं को चित्रित करता है।

ii.“द गोल्डन थ्रेशोल्ड”, सरोजिनी नायडू की कविताओं की पहली पुस्तक 1905 में लंदन, यूनाइटेड किंगडम (UK) में प्रकाशित हुई थी।

iii.सरोजिनी नायडू की कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ “द बर्ड ऑफ़ टाइम” (1912), “इन द बाज़ार्स ऑफ़ हैदराबाद” (1912), “द ब्रोकन विंग” (1917), “द फेदर ऑफ़ द डॉन” (1961), और “द इंडियन वीवर्स” (1971)थी। 

पुरस्कार और सम्मान:

सरोजिनी नायडू को भारत में प्लेग महामारी के दौरान उनके काम के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा 1900 और 1947 के बीच भारत के सम्राट / साम्राज्ञी द्वारा सम्मानित किया गया एक पदक “कैसर-ए-हिंद पदक” से सम्मानित किया गया था।





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